राजस्थान में वन्यजीव संरक्षण को नया संबल: लॉन्च हुई 'कैप्टिव एनिमल स्पॉन्सर स्कीम', देखिए खास रिपोर्ट

जयपुरः राजस्थान के चिड़ियाघरों और जैविक उद्यानों में वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देने और आमजन की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने 'कैप्टिव एनिमल स्पॉन्सर स्कीम' (सीएएसएस) की शुरुआत की है. इस योजना की पहल वन एवं पर्यावरण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव अपर्णा अरोड़ा द्वारा की गई है और इसे मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक शिखा मेहरा के नेतृत्व में टी. मोहन राज वी व अन्य अधिकारियों ने तैयार किया है. योजना का उद्देश्य दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए वित्तीय संसाधन जुटाना और पशु कल्याण सुनिश्चित करना है. 

केप्टिविटी में वन्य जीव संरक्षण में जनभागीदारी बढ़ाने के लिए वन विभाग ने कैपटिव एनिमल स्पॉन्सर स्कीम शुरू की है. इस योजना के तहत राजस्थान के माचिया (जोधपुर), सज्जनगढ़ (उदयपुर), नाहरगढ़ (जयपुर) जैसे प्रमुख जैविक उद्यानों के साथ-साथ अभेडा (कोटा), मरुधरा (बीकानेर), और पुष्कर (अजमेर) में विकसित हो रहे उद्यानों में लाखों पर्यटक हर साल आते हैं. ये उद्यान न केवल स्थानीय लोगों को शिक्षा और मनोरंजन के अवसर प्रदान करते हैं, बल्कि जंगली जानवरों के पुनर्वास, इलाज, संरक्षण प्रजनन और अंततः पुनर्वापसी की दिशा में कार्यरत हैं.

इस योजना के तहत आमजन, कॉर्पोरेट, संस्थाएँ, पशु प्रेमी और मशहूर हस्तियाँ चिड़ियाघरों में किसी विशेष जानवर, बाड़े या बंदी प्रजनन परियोजना को एक निश्चित अवधि के लिए प्रायोजित कर सकते हैं. प्रायोजन के प्रकारों में एक माह से लेकर पांच वर्ष तक की अवधि के लिए योगदान दिया जा सकता है. प्रायोजकों को योजना में भाग लेने के लिए निर्धारित प्रारूप में आवेदन करना होगा, जिसे जांचकर मुख्य वन्यजीव वार्डन द्वारा अंतिम स्वीकृति दी जाएगी. प्रायोजकों के लिए कई विशेषाधिकार भी निर्धारित किए गए हैं. वार्षिक प्रायोजन राशि के अनुसार उन्हें चिड़ियाघरों का मानार्थ भ्रमण, पहचान पत्र, प्रमाण-पत्र, कार्यक्रमों में आमंत्रण और प्रचार सामग्री में उपयोग की अनुमति दी जाएगी. लंबी अवधि (5 वर्ष या उससे अधिक) के प्रायोजकों को विशेषाधिकार स्वरूप एक्स-सीटू संरक्षण सोसाइटी के शासी निकाय में शामिल किया जा सकता है.

भुगतान राशि प्रस्तावित (RESCA) के खाते में की जाएगी जमाः
प्रायोजन राशि का उपयोग पशुओं के आहार, स्वास्थ्य परीक्षण, बाड़ों के निर्माण और देखरेख, विशेषज्ञ पशुपालकों की सेवाओं तथा बंदी प्रजनन परियोजनाओं में किया जाएगा. भुगतान राशि प्रस्तावित राजस्थान एक्स-सीटू कंजर्वेशन अथॉरिटी (RESCA) के खाते में जमा की जाएगी और इसके लिए आयकर अधिनियम की धारा 80जी के तहत कर छूट का प्रस्ताव भी रखा गया है. सख्त नियमों के अंतर्गत प्रायोजक को जानवरों के साथ किसी भी प्रकार की सीधी बातचीत, स्वामित्व दावा या प्रबंधन में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं होगी. यदि प्रायोजन अवधि के दौरान किसी जानवर की मृत्यु हो जाती है, तो प्रायोजन को उसी प्रजाति के अन्य पशु में स्थानांतरित किया जा सकता है या शेष राशि लौटाई जा सकती है.

योजना निस्संदेह वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदमः
योजना का लक्ष्य न केवल वित्तीय सहायता जुटाना है, बल्कि लोगों में पशु कल्याण के प्रति सहानुभूति और जागरूकता पैदा करना भी है. यह पहल राजस्थान को पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तेलंगाना जैसे राज्यों की तर्ज पर एक सशक्त वन्यजीव संरक्षण मॉडल के रूप में स्थापित करेगी. यह योजना निस्संदेह वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है जो प्रकृति प्रेमियों को प्रत्यक्ष योगदान का अवसर प्रदान करती है.