रणथंभौर में बाघ के हमले से फिर गई एक और जान, ‘ह्यूमन किलर’ सब एडल्ट टाइगर्स की शिफ्टिंग अब जरूरी, देखिए खास रिपोर्ट

जयपुरः रणथंभौर टाइगर रिजर्व एक बार फिर बाघ के हमले की वीभत्स घटना से सिहर उठा है. सोमवार सुबह 4:30 बजे रणथंभौर किले स्थित जैन मंदिर में चौकीदारी कर रहे 70 वर्षीय बुजुर्ग राधेश्याम माली पर बाघ ने हमला कर दिया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई. यह घटना पिछले 54 दिनों में बाघ के हमले में तीसरी मौत है, जिससे क्षेत्र में भय का माहौल बन गया है और वन विभाग पर सवाल उठने लगे हैं. 

सुबह 4:30 बजे रणथंभौर किले में स्थित जैन मंदिर के चौकीदार की बाघ के हमले में मौत
मृतक की शिनाख्त शेरपुर निवासी 70 वर्षीय राधेश्याम पुत्र कजोड़ माली के तौर पर हुई
पिछले 30 वर्ष से गणेश मंदिर में चौकीदारी कर रहा था राधेश्याम
राधेश्याम सुबह 4:30 बजे मंदिर परिसर से नेचर कॉल के लिए निकला था बाहर
इस दौरान उसके साथ दो और चौकीदार गणेश मंदिर में थे मौजूद
राधेश्याम की चीख सुन दोनों चौकीदारों ने वन विभाग को दी सूचना
FD अनूप केआर ने तुरंत ड्रोन के साथ भेजी थी मौके पर रेस्क्यू टीम
रेस्क्यू टीम ने हवाई फायर कर आसपास मौजूद वन्य जीवों को खदेड़ा
मंदिर से 30 40 मीटर की दूरी पर ही मिल गया राधेश्याम का आधा खाया हुआ शरीर
राधेश्याम की गर्दन पर बाघ के केनाइन के मिले निशान
बाघ/बाघिन जांघ और कमर के हिस्से से खा चुका था शव 
शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को किया जाएगा सुपुर्द
पिछले 54 दिन में रणथंभौर में बाघ के हमले में तीसरी मौत

राधेश्याम, जो पिछले 30 वर्षों से गणेश मंदिर में चौकीदारी कर रहे थे, सुबह मंदिर परिसर से बाहर नेचर कॉल के लिए निकले थे. उनके साथ मौजूद दो अन्य चौकीदारों ने उनकी चीख सुनकर तुरंत वन विभाग को सूचना दी. सूचना मिलते ही FD अनूप केआर के निर्देश पर रेस्क्यू टीम को ड्रोन और हवाई फायरिंग के साथ मौके पर भेजा गया. थोड़ी ही दूरी पर, लगभग 30-40 मीटर दूर, राधेश्याम का अधखाया शव बरामद हुआ. गर्दन पर बाघ के केनाइन दांतों के गहरे निशान और जांघ-कमर के हिस्से से शव का खाया जाना स्पष्ट संकेत हैं कि यह हमला शिकार की नीयत से किया गया था. इस हमले के पीछे रणथंभौर की प्रसिद्ध बाघिन टी-84 "एरोहेड" का नर सब एडल्ट शावक के होने की आशंका जताई जा रही है. एरोहेड ने मई 2023 में दो मादा और एक नर शावक को जन्म दिया था. इनमें से एक मादा शावक "अन्वी" पहले ही दो ह्यूमन किलिंग घटनाओं में शामिल पाई जा चुकी है — 16 अप्रैल को एक 7 वर्षीय बालक की और 11 मई को फॉरेस्ट रेंजर देवेंद्र चौधरी की हत्या में. 14 मई को अन्वी को ट्रेंकुलाइज़ कर एनक्लोजर में शिफ्ट कर दिया गया था.  

वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि एरोहेड की स्वास्थ्य समस्याएं, विशेष रूप से बोन ट्यूमर के चलते, वह अपने शावकों का समुचित भरण-पोषण नहीं कर सकी. इससे इन सब एडल्ट टाइगर्स में भय, भूख और टेरिटरी की तलाश बढ़ गई, जो उन्हें मानवों के करीब ले आई और अंततः 'ह्यूमन किलर' बना दिया. अब जब तीसरी मौत भी इन्हीं सब एडल्ट्स के खाते में जाती दिखाई दे रही है, तो यह स्पष्ट हो गया है कि इनकी तुरंत शिफ्टिंग आवश्यक हो गई है. NTCA (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) से इन दोनों सब एडल्ट टाइगर्स को एंक्लोजर या अन्यत्र शिफ्ट करने की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है. विशेषज्ञों और हाल ही में गठित जांच कमेटी ने भी इनकी शिफ्टिंग की अनुशंसा की थी. बावजूद इसके, निर्णय में हो रही देरी अब आम नागरिकों की जान पर भारी पड़ रही है. इस पूरे घटनाक्रम ने वन विभाग को गंभीरता से सोचने पर मजबूर कर दिया है. विशेषज्ञ एरोहेड की बार-बार किले में मौजूदगी को अपनी बेटी अन्वी की तलाश से जोड़कर देख रहे हैं, जो एक भावनात्मक पहलू जरूर दर्शाता है, पर व्यावहारिक रूप से यह अब मानव जीवन के लिए बड़ा खतरा बन चुका है. अब समय आ गया है कि वन विभाग फूंक-फूंक कर नहीं, बल्कि ठोस और त्वरित कदम उठाए. वरना रणथंभौर की धरती पर बाघों की शान के साथ-साथ इंसानों की जान भी सुरक्षित नहीं रहेगी.