द्रव्यवती नदी कायाकल्प प्रोजेक्ट के कारण गिरा भूजल स्तर? इसको लेकर जेडीए ने कंसल्टैंसी फर्म से कराई थी स्टडी रिपोर्ट

जयपुरः राजधानी के द्रव्यवती नदी कायाकल्प प्रोजेक्ट में कंक्रीट निर्माण के कारण क्या वाकई सांगानेर क्षेत्र में भूजल स्तर गिरा है? इसको लेकर जेडीए की ओर से कराई गई स्टडी रिपोर्ट सामने आ चुकी है. इस रिपोर्ट में प्रोजेक्ट के माध्यम से जल संरक्षण को बढ़ावा देने के उपाय भी बताए गए हैं. प्रोजेक्ट के कारण भूजल स्तर गिरने की धारणा में कितनी है सच्चाई और किन उपायों से जल संरक्षण बढ़ाया जा सकता है? 

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से सांगानेर क्षेत्र के लोगों ने मुलाकात की थी. इस मुलाकात में इन लोगों का कहना था कि द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट में कंक्रीट निर्माण के कारण सांगानेर क्षेत्र का भूजल स्तर गिर गया है. इसके बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बजट भाषण में यह घोषणा की की द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट को जल संरक्षण की दृष्टि से विकसित किया जाएगा. उनके इस घोषणा को मूर्त रूप देने के लिए जेडीए ने भूजल स्तर गिरने और जल संरक्षण बढ़ाने के मामले में स्टडी करने के उद्देश्य से कंसल्टेंसी फर्म को कार्य आदेश जारी किया. इस कंसल्टेंसी फर्म ने अपनी स्टडी रिपोर्ट जेडीए को सौंप दी है. इस रिपोर्ट के बारे में जानकारी देने से पहले आपको बताते हैं कि इस प्रोजेक्ट में जल संरक्षण के क्या प्रावधान पहले से किए गए हैं. 

-प्रोजेक्ट में द्रव्यवती नदी के दोनों तरफ विभिन्न स्थानों पर 63 रिचार्ज कुओं का निर्माण किया गया है 
-नदी का पानी पंप करके इन कुएं में पहुंचाया जाता है 
-पहले यह पंप दो से चार घंटे ही चलते थे 
-लेकिन जेडीए ने अब सेंसर लगा दिए हैं 
-इसके कारण जब भी रिचार्ज कुआ पानी से भर जाता है तब यह पंप बंद हो जाते हैं 
-लेकिन जैसे ही रिचार्ज कुआ खाली होता है तो यह पंप दोबारा शुरू हो जाते हैं 
-इस तरह रिचार्ज कुओं के माध्यम से पानी भूजल तक पहुंचाने का सिलसिला दिन भर चलता रहता है 
-इसके अलावा जेडीए ने पूरे प्रोजेक्ट में निर्मित 80 चेक डैम पर 4 मीटर चौड़ाई और 30 मीटर की लंबाई के हिस्से को कच्चा रखा है 
-यहां पर छोटे पत्थरों की परत (पौर्स कंक्रीट बेड) बिछाई गई है -ताकि चेक डैम पर इकट्ठा पानी भूमि में जा सके  -इनमें से 17 रिचार्ज कुए और 11 पौर्स कंक्रीट बेड सांगानेर क्षेत्र में रामचंद्रपुर बांध से लेकर गूलर बंद तक स्थित है.

द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट के कारण सांगानेर क्षेत्र में भूजल स्तर गिरने का पता लगाने के लिए कंसल्टेंसी फर्म ने प्रदेश के भूजल विभाग से भी आंकड़े लिए. सांगानेर क्षेत्र में सुख कण की संख्या को इस स्टडी में आधार बनाया गया आपको बताते हैं कि इस स्टडी रिपोर्ट में क्या कहा गया है 

-स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक सांगानेर क्षेत्र का भूजल स्तर पूरी तरह से केवल द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट में कंक्रीट के निर्माण से ही नहीं गिरा है बल्कि इसके और भी कई कारण हैं 
-इस रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2000 से ही सांगानेर ब्लॉक में कुओं के सूखने का सिलसिला जारी है 
-वर्ष 2000 में जहां इस क्षेत्र में चार कुए ही सूखे थे 
-वहीं 2023 में इसकी संख्या 24 हो गई 
-प्रोजेक्ट जब वर्ष 2016 में शुरू हुआ तब सूखे कुओं की संख्या 18 थी
 -वर्ष 2017 में भी यह संख्या 18 ही रही
-वर्ष 2018 में जब प्रोजेक्ट पूरा हुआ  हुआ तब सूखे कुओं की संख्या 18 से बढ़कर 22 हो गई  
-इसके बाद वर्ष 2020 में सूखे कुओं की संख्या 23 और वर्ष 2023 में  कुओं की संख्या 24 हो गई
-इस स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक सिंचाई और पेयजल के लिए हुए भूजल के दोहन के कारण भी भूजल स्तर गिरा है 

द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट के लिए कराई गई इस स्टडी रिपोर्ट में प्रोजेक्ट के माध्यम से जल संरक्षण किस तरह से और बढ़ाया जा सकता है. उसको लेकर भी उपाय बताए गए हैं इस रिपोर्ट के अनुसार जेडीए ने तैयारी शुरू कर दी है आपको बताते हैं कि जेडीए प्रोजेक्ट के माध्यम से जल संरक्षण बढ़ाने के लिए क्या करेगा. 

-द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट के सांगानेर क्षेत्र में शामिल हिस्से में 25 और रिचार्ज कुओं का निर्माण किया जाएगा
-जेडीए की ओर से जल्द ही इसके लिए निविदा जारी की जाएगी
-इन रिचार्ज कुओं में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के क्लोरीन कॉन्टेक्ट टैंक(सीसीटी) से पानी को पंप किया जाएगा
-सीसीटी में परिशोधित पानी में क्लोरीन मिलाई जाती है
-सीसीटी से सीधे जुड़ाव के पीछे उद्देश्य यही है कि नदी का स्वच्छ पानी ही भूगर्भ तक पहुंचाया जाए
-रिचार्ज कुओं की नियमित सफाई और उनका रखरखाव किया जाना चाहिए
-नदी में आने वाले औद्योगिक अपशिष्ट को रोका जाना चाहिए