जयपुरः परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली पर अब गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. मुख्यालय द्वारा जारी तबादला आदेशों को नजरअंदाज करते हुए कई आरटीओ और डीटीओ अधिकारी निरीक्षकों को रिलीव ही नहीं कर रहे. नतीजा यह है कि तबादले के 5-6 महीने बाद भी एक दर्जन से अधिक परिवहन निरीक्षक पुरानी जगहों पर ही कार्यरत हैं.
परिवहन विभाग फील्ड में अपने ही आदेशों की पालना नहीं करवा पा रहा है, जनवरी महीने में जारी तबादला आदेशों के बाद भी प्रदेश में बड़ी संख्या में परिवहन निरीक्षक अभी तक रिलीव नहीं हुए हैं, जयपुर RTO प्रथम में ही परिवहन निरीक्षक नवल मीणा, तनसुख टांक, अलीम खान और अल्का ओझा का तबादला मुख्यालय द्वारा किया गया, लेकिन जयपुर RTO प्रथम में यह सभी अब तक कार्यरत हैं. तबादले को 6 महीने बीत चुके हैं, लेकिन न रिलीविंग हुई, न नई जगह पर कार्यभार ग्रहण किया गया.परिवहन मुख्यालय ने जनवरी 2025 में सभी तबादला किए गए एमवीआई (मोटर वाहन निरीक्षकों) को तुरंत रिलीव करने के आदेश दिए थे. बावजूद इसके कई अधिकारी इन आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. विभाग के भीतर ही नियमों की अवहेलना से विभागीय अनुशासन पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं
जब एक ओर विभागीय फेरबदल रुक जाते हैं और दूसरी ओर तबादला पाने वाले अधिकारी कार्यभार ग्रहण नहीं कर पाते, तब पूरे परिवहन विभाग की कार्यक्षमता और विश्वसनीयता पर आंच आती है. यह आम जनता को दी जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल असर डालता है, अब वक्त आ गया है कि परिवहन मुख्यालय इस लापरवाही के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे. जिन RTO और DTO अधिकारियों ने आदेशों का पालन नहीं किया है, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए, तबादले के बावजूद सीट पर जमे अधिकारियों को यदि तुरंत रिलीव नहीं किया गया तो विभागीय प्रणाली में अनुशासन की जगह अराजकता पनपने लगेगी. तबादले एक सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया हैं जो प्रशासनिक संतुलन और पारदर्शिता के लिए बेहद ज़रूरी हैं. लेकिन जब विभाग के ही अधिकारी तबादले के आदेशों को नज़रअंदाज़ करने लगें, तो सवाल उठना लाजमी है
क्या इन तबादलों पर राजनीतिक या आंतरिक दबाव हावी है?
क्या विभाग आदेशों का पालन करवाने में असमर्थ हो चुका है?
क्या RTO और DTO अपने प्रभाव क्षेत्र में कार्यरत पसंदीदा अधिकारियों को हटाना नहीं चाहते?
इन जगहों पर भी तबादलों के बाद टिके हैं कार्मिक
चित्तौड़गढ़ – निरीक्षक कैलाश कुमारी अब तक रिलीव नहीं हुईं.
भीलवाड़ा – राघवेन्द्र राणावत तबादले के बाद भी यथावत.
सीकर – झाबर सिंह अब तक रिलीव नहीं किए गए.
झुंझुनूं – रोहिताश भगासरा और सुमित कुमार तबादले के बावजूद कार्यरत.
राजसमंद – अनीता पवार अभी भी पुरानी पोस्ट पर.
कोटपूतली – नरेश स्वामी को 6 महीने पहले चौमू स्थानांतरित किया गया, पर अब तक कार्यमुक्त नहीं किया गया