चित्तौड़गढ़: (पीके अग्रवाल) चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा से एक गंभीर मामला सामने आया है. नगर पालिका प्रशासन ने जाट समाज के छात्रावास और तेजाजी महाराज के मंदिर के लिए प्रस्तावित जमीन पर बनी चारदीवारी पर अतिक्रमण कार्रवाई की है. इस कार्रवाई को लेकर प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं. पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई है और इसने समाज में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है. आइए देखते हैं क्या है पूरा मामला, खास रिपोर्ट
16 जनवरी 2025 की लिखी हुआ तारीख का चिपकाया नोटिस
54 मिनट में बाद ही चार दिवारी तोड़ने की कार्रवाई को दिया अंजाम
23 जनवरी को अचानक नगर पालिका प्रशासन ने की कार्रवाई
जाट समाज ने प्रशासन पर लगाया नाइंसाफी का आरोप
जांच और संवाद की मांग, गहराता जा रहा विवाद
चारदीवारी को गिराया गयाः
घटना रावतभाटा के नया बाजार क्षेत्र की है, जहां जाट समाज के छात्रावास और तेजाजी महाराज के मंदिर के लिए प्रस्तावित जमीन पर बनी चारदीवारी को गिराया गया. नोटिस 16 जनवरी की तारीख का है, और 23 जनवरी को नोटिस चिपका कर 54 मिनट बाद ही कार्रवाई को अंजाम दे दिया, सीसीटीवी फुटेज में यह देखा गया कि नोटिस चिपकाने के केवल 54 मिनट बाद अतिक्रमण को ध्वस्त कर दिया गया. जाट समाज के लोगों ने इसे अन्याय बताया है. उनका कहना है कि समाज के साथ संवाद किए बिना यह कार्रवाई अपमानजनक और नाइंसाफी है. जाट समाज के बेगू विधानसभा अध्यक्ष सुरेंद्र कड़वासरा का कहना है कि नोटिस में 16 जनवरी की तारीख का था और 54 मिनट बाद कार्रवाई की गई. यह समाज के प्रति नाइंसाफी है. प्रशासन ने हमारी भावनाओं का ख्याल नहीं रखा. हम इस मामले की जांच और उचित कार्रवाई की मांग करते हैं.
प्रशासन की लापरवाही को दर्शाताः
नोटिस में दी गई तारीख और कार्रवाई के बीच का अंतर प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है. समाज सवाल उठा रहा है कि कार्रवाई इतनी जल्दी और बिना सूचना क्यों की गई? रावतभाटा की इस घटना ने प्रशासन और समाज के बीच तनाव पैदा कर दिया है.
प्रशासन का कहना है कि अतिक्रमण पर कार्रवाई सभी नियमों के तहत की गई. लेकिन समाज इसे असंवेदनशीलता मान रहा है और भावनाओं की अनदेखी का आरोप लगा रहा है. सवाल यह है कि क्या प्रशासन को पहले समाज के साथ संवाद करना चाहिए था? पूरे मामले पर गौ रक्षा कमांडो फोर्स के जिलाध्यक्ष प्रहलाद जाच का कहना है कि यह प्रशासन की मनमानी और राजनीतिक दबाव का परिणाम लगता है. समाज को सूचित किए बिना की गई यह कार्रवाई अस्वीकार्य है. प्रशासन को संवाद की प्रक्रिया अपनानी चाहिए थी.