VIDEO: अवैध खनन पर करारी चोट पर जुर्माना वसूली में भारी ढिलाई, राजस्थान के खनन महाअभियान की पड़ताल में खुली परतें, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर : खनन विभाग द्वारा अवैध खनन के विरुद्ध चलाया जा रहा महाअभियान अब कटघरे में है. प्रमुख सचिव टी. रविकांत और निदेशक दीपक तंवर व की निगरानी में बड़े पैमाने पर कार्रवाई की गई, लेकिन जुर्माने की वसूली बेहद निराशाजनक रही. आंकड़े दर्शाते हैं कि प्रदेश में खनन माफियाओं पर शिकंजा तो कसा गया, पर आर्थिक दंड की वसूली में विभाग बुरी तरह असफल रहा. 

अभियान के दौरान प्रदेशभर में अवैध खनन, निर्गमन और भंडारण के कुल 2721 प्रकरण दर्ज किए गए. इनमें 229 अवैध खनन, 2334 अवैध निर्गमन और 158 अवैध भंडारण के मामले सामने आए. विभाग और संयुक्त प्रवर्तन दलों ने 72.56 लाख टन खनिज जब्त किए, जिन पर कुल 540.30 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया. बावजूद इसके, मात्र 16.65 करोड़ रुपये की वसूली हुई- यानी वसूली दर 3.08% ही रही. विभागीय आंकड़े दर्शाते हैं कि कार्रवाई तो हुई, पर वसूली में बेहद असंतुलन रहा. 

नागौर में 161 करोड़ रुपये की पेनल्टी पर सिर्फ 31 लाख वसूले गए (वसूली दर: 0.19%). भरतपुर में 229.88 करोड़ के विरुद्ध वसूली मात्र 1.69 करोड़ रही (0.73%). करौली में 26.01 करोड़ की पेनल्टी लगी, लेकिन वसूली सिर्फ 29 लाख (1.11%) हुई. इसी तरह बूंदी प्रथम में 72.83 करोड़ के जुर्माने पर वसूली 79 लाख ही रही (1.08%). राजसमंद प्रथम क्षेत्र में तो हालात और भी बदतर हैं. 21.88 करोड़ की पेनल्टी पर विभाग महज 13 लाख रुपये ही वसूल पाया, जो कुल राशि का मात्र 0.59% है. वहीं, सोजत सिटी में विसंगति उलटी दिशा में है. 

वहां 57 लाख की ही पेनल्टी दर्ज की गई, लेकिन 16.13 करोड़ की वसूली दिखाई गई, जो सवाल खड़े करती है कि यह वसूली किस आधार पर हुई?इन आंकड़ों से साफ है कि या तो निरीक्षण दलों ने फर्जी पंचनामे बनाए, या फिर जानबूझकर दोषियों से वसूली में लापरवाही बरती गई. यह भी आशंका है कि कुछ स्थानों पर माफियाओं और अधिकारियों के बीच सांठगांठ के चलते वास्तविक जुर्माने की राशि छिपाई या कम दिखाई गई. विभागीय अमले की कार्यप्रणाली से सरकार की छवि को झटका लग सकता है. सूत्रों के अनुसार, जिन जिलों में वसूली की स्थिति अत्यंत खराब रही, वहां अधीक्षण खनिज अभियंताओं को नोटिस जारी करने की तैयारी है.सवाल उठता है कि जब विभाग के पास वाहन और मशीनें जब्त करने, एफआईआर दर्ज करने और गिरफ्तारी तक की शक्तियां हैं. 

 

तो वसूली क्यों नहीं हो रही? कहीं ये कार्रवाइयां सिर्फ कागजों में तो नहीं? यदि विभाग वसूली सुनिश्चित नहीं कर पाया, तो यह अभियान सिर्फ "शोकेस" बनकर रह जाएगा. खनन माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई जितनी जरूरी है, उतनी ही जरूरी है उस कार्रवाई को प्रभावी बनाना. जुर्माने की वसूली किए बिना न तो राजस्व की भरपाई हो सकती है और न ही माफियाओं को हतोत्साहित किया जा सकता है. समय आ गया है जब सरकार को केवल कार्रवाई के आंकड़े नहीं, बल्कि उसकी वास्तविक परिणति को लेकर भी जवाबदेही तय करनी होगी. यह अभियान तभी सफल माना जाएगा जब खनन माफियाओं से न केवल खनिज, बल्कि आर्थिक दंड की पूर्ण वसूली कर राजकोष को मजबूत किया जाए और भ्रष्ट अधिकारियों को चिन्हित कर सख्त दंड दिया जाए. तभी यह लड़ाई “अवैध खनन बनाम शासन” से आगे बढ़कर “जनता बनाम भ्रष्टाचार” की जीत में बदल सकेगी.