जयपुरः राजधानी के आरआईसी सेंटर में जगदगुरू रामानांदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय के सातवां दिक्षांत समारोह आयोजित किया गया दिक्षांत समारोह की अध्यक्षता राज्यपाल हरिभाउ बागडे ने की वहीं कार्यक्रम के मुख्य अतिथी के तौर पर लोकसभा अअध्यक्ष ओम विरला मौजूद रहे,कार्यक्रम में संस्कृत शिक्षामंत्री मदन दिलावर और जूनापीठाधीश्वर अवधेशानंदगिरी महाराज उपस्थित रहे,दिक्षांत समारोह में 6 हजार से अधिक छात्र छात्राओं को उपाधि सहित गोल्ड मैडल प्रदान किए गए वहीं जूनापीठाधीश्वर अवधेशानंदगिरी महाराज को मानद उपाधि से सम्मानित किया गया.
जगदगुरू रामानांदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय का सातवां दिक्षांत समारोह आज आयोजित किया गया जिसमें यूजी और पीजी के 6461 छात्र छात्राओं को डिग्रियां प्रदान की गई दिक्षांत समारोह में उत्कृष्ठ प्रदर्शन करने वाले 10 छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया वहीं 2 छात्राओं को अच्छे अंक लाने पर छात्रवृति भी प्रदान की गई, इस मौके पर संबोधित करते हुए महामहिम राज्यपाल ने सभी उपाधिधारको को बधाई दी उन्होने कहा कि संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी है संस्कृत शब्द का अर्थ है संस्कार,हर वयक्ति को संस्कारित होना बेहद जरूरी है,देश विदेश में संस्कृत भाषा का ज्ञान लेने के लिए लोग यहा आते रहे.
जगदगुरू रामानांदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय के सातवे दिक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संस्कृत न केवल विश्व की प्राचीनतम भाषा है, बल्कि यह आधुनिकता और वैज्ञानिकता का भी प्रतीक है. यह भाषा विश्व की अधिकांश भाषाओं का उद्गम स्थल रही है और इसे संरक्षित व प्रचारित करने वाले सभी धन्यवाद के पात्र हैं. बिड़ला ने कहा कि भारतीय योग, आयुर्वेद और भाषाओं के प्रति वैश्विक स्तर पर जिज्ञासा बढ़ रही है. एक समय था जब भारतीय भाषाओं को लुप्त करने का प्रयास किया गया, लेकिन संस्कृत की विविधता और वैज्ञानिकता ने इसे विश्व पटल पर जीवंत रखा. उन्होंने बताया कि हमारे विद्वानों, महापुरुषों और मनीषियों ने संस्कृत को मूल भाषा के रूप में अपनाकर भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा को समृद्ध किया. उनकी रचनाओं ने समय के साथ बदलावों को आत्मसात करते हुए वर्तमान पीढ़ी को प्रेरित किया.लोकसभा अध्यक्ष ने जोर देकर कहा कि संस्कृत के प्रति गर्व करना हमारा कर्तव्य है, क्योंकि यह वह भाषा है, जिससे विश्व की अनेक भाषाओं का उद्भव हुआ. उन्होंने प्राचीनता के साथ इसकी वैज्ञानिकता को विश्व तक पहुंचाने का आह्वान किया. साथ ही, जगद्गुरु जैसे महान व्यक्तित्वों के भक्ति आंदोलन और संस्कृत प्रसार के कार्यों से प्रेरणा लेने की बात कही. अंत में, उन्होंने आह्वान किया कि देश की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत को और आगे ले जाने का संकल्प लें, ताकि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए भी गौरव का स्रोत बनी रहे.
संस्कृत विश्वविद्यालय के सातवे दिक्षांत समारोह में संस्कृत के प्रचार प्रसार और इसके महत्वता पर जोर दिया गया कार्यक्रम में विधायक बालमुकंद आचार्य,पत्रिका समूह के गुलाब कोठारी,भाजपा नेता नरपत सिंह राजवी ,सहित अन्य विश्वविद्यायों के कुलपति भी मौजूद रहे.