VIDEO: अब RTO प्रथम जयपुर के पास खुद के होंगे सरकारी सीज़र यार्ड, विभाग की कार्यप्रणाली में आएगा सुधार, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: राजस्थान के परिवहन विभाग को प्रवर्तन कार्रवाई के मोर्चे पर बड़ी सफलता मिली है. अब आरटीओ प्रथम (जयपुर) के पास खुद के सरकारी सीज़र यार्ड होंगे, जिससे न केवल विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार आएगा बल्कि वर्षों से चली आ रही प्राइवेट यार्ड पर निर्भरता भी खत्म हो सकेगी.

जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने हाल ही में हुई एलपीसी (लैंड प्लानिंग कमेटी) की बैठक में तीन स्थानों पर सीज़र यार्ड के लिए ज़मीन आवंटित करने को मंजूरी दी है.इनमें अजमेर रोड, टोंक रोड और आगरा रोड शामिल हैं.कुल 8,000 वर्गमीटर भूमि आरटीओ प्रथम को सौंपी गई है, जिसे विभाग के सीज़र यार्ड के रूप में विकसित किया जाएगा.यह राजस्थान में पहली बार हुआ है कि किसी आरटीओ को उसके खुद के सरकारी सीज़र यार्ड आवंटित किए गए हैं.इस बड़ी पहल के साथ आरटीओ प्रथम राज्य का पहला ऐसा कार्यालय बन गया है, जिसके पास सरकारी स्तर पर जब्त वाहनों को रखने के लिए स्थायी स्थान होगा. 

इस योजना के पीछे जेडीसी (जयपुर विकास आयुक्त) आनंदी की प्रमुख भूमिका रहीआनंदी शुरू से ही इस प्रस्ताव के प्रति सकारात्मक रहीं और एलपीसी की बैठक में व्यक्तिगत रुचि लेकर इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव को स्वीकृति दिलाई.इस योजना को धरातल पर लाने में आरटीओ प्रथम राजेंद्र सिंह शेखावत की लगातार छह माह की मेहनत और प्रयास रहे.उन्होंने न केवल जेडीए के अधिकारियों से संपर्क बनाए रखा, बल्कि तकनीकी और प्रशासनिक दस्तावेज़ों को भी समय पर पूरा करवाया.

अब इस ज़मीन पर विभागीय एमओयू की औपचारिकता शेष है, जो अगले कुछ दिनों में पूरी कर ली जाएगी. इसके बाद तीनों स्थानों पर यार्ड निर्माण और उपयोग की प्रक्रिया आरंभ होगी.अब तक परिवहन विभाग प्राइवेट यार्ड्स पर निर्भर था, जिनको लेकर शिकायतें आम थीं— कभी ओवरचार्जिंग तो कभी वाहन की सुरक्षा को लेकर संदेह.इसके चलते प्रवर्तन की कार्रवाई में अक्सर देर, विवाद और कानूनी अड़चनें आती थीं.अब मोटर वाहन निरीक्षकों को जब्ती के लिए स्थायी, पारदर्शी और विश्वसनीय व्यवस्था मिल सकेगी.

सरकारी सीज़र यार्ड मिलने से प्रवर्तन की कार्यवाहियों को नया बल मिलेगा.मोटर वाहन अधिनियम के तहत की जाने वाली जब्ती, चालान व सीजिंग अब सुचारु ढंग से हो सकेगी और विभाग की जवाबदेही व पारदर्शिता भी बढ़ेगी निश्चित रूप से यह फैसला परिवहन विभाग के लिए एक मील का पत्थर है, जो ना सिर्फ विभागीय मजबूती का संकेत है, बल्कि राज्यभर में अन्य आरटीओ के लिए मॉडल के रूप में भी कार्य करेगा.