जयपुर: सवाई माधोपुर के रणथंभौर टाइगर रिजर्व से एक बार फिर मानव लापरवाही की चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है. ‘आ बाघ मुझे मार’ जैसे दुस्साहसी व्यवहार की पुष्टि अब एक वायरल वीडियो से हुई है, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि किस तरह स्थानीय लोग खुद ही अपनी जान को खतरे में डाल रहे हैं और बाघों को उकसा रहे हैं. यह ताजा घटना खंडार क्षेत्र के कैलाशपुरी एनीकट के पास दोपहर के समय घटी, जब एक बाघ वहां शांत बैठा था. बाघ की मौजूदगी की खबर मिलते ही बड़ी संख्या में स्थानीय लोग वहां जुट गए.
रणथंभौर में पिछली चारों घटनाओं में इंसान बाघ के पास पहुंचा न की बाघ इंसान के पास. ऐसे में जागरूकता की कमी और लापरवाही साफ नजर आती है. इनमें से कई लोग तो इतने निडर (या कहें लापरवाह) थे कि उन्होंने बाघ के पास जाकर सेल्फी लेना और रील बनाना शुरू कर दिया. वन विभाग के कर्मचारी और होमगार्ड लगातार लोगों को पीछे हटने की चेतावनी देते रहे, लेकिन भीड़ नहीं मानी. इसी बीच खंडार क्षेत्र में कार्यरत कृषि पर्यवेक्षक सीताराम सैनी भी भीड़ के बीच से निकलकर बाघ के अत्यंत निकट जा पहुंचा. तमाम चेतावनियों के बावजूद सीताराम की यह हरकत बेहद महंगी पड़ी और बाघ ने उस पर अचानक हमला कर दिया.
बाघ का हमला होते ही वहां अफरा-तफरी मच गई. इसी बीच होमगार्ड बाबूलाल मीणा ने अदम्य साहस दिखाते हुए सीताराम को बचाने की कोशिश की. बाबूलाल ने डंडे से बाघ पर हमला कर दिया, जिससे बाघ ने सीताराम का पैर छोड़ दिया, लेकिन इस संघर्ष में दोनों व्यक्ति घायल हो गए. वीडियो में यह पूरी घटना कैद है और अब यह वायरल हो चुका है. यह वीडियो रणथंभौर क्षेत्र में बढ़ती मानव लापरवाही और वन्यजीवों के साथ खिलवाड़ का जीता-जागता प्रमाण बनकर सामने आया है. पिछले दो महीनों में रणथंभौर क्षेत्र में ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं, जो बाघों और इंसानों की खतरनाक निकटता की ओर इशारा करती हैं.
16 अप्रैल को अमराई में 7 वर्षीय बालक की मौत, 11 मई को रेंज अधिकारी देवेंद्र चौधरी की बाघ के हमले में मौत आए 9 जून को जैन मंदिर के चौकीदार राधेश्याम माली की मौत. इन सभी घटनाओं में एक समानता दिखती है -मानव लापरवाही, चेतावनियों की अनदेखी और बाघों के नैसर्गिक व्यवहार को समझे बिना उनके करीब जाने की जिद. यह प्रवृत्ति केवल वन्यजीवों के लिए ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी जानलेवा साबित हो रही है. रणथंभौर प्रशासन ने एक बार फिर आमजन से अपील की है कि वे वन्यजीव क्षेत्रों में जिम्मेदार व्यवहार करें और बाघों को कैमरे के फ्रेम में कैद करने की बजाय सुरक्षित दूरी से ही देखें. वन्यजीवों को उकसाना या उन्हें रील के माध्यम से वायरल करने की चाहत अब न सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि प्राणघातक भी सिद्ध हो रही है. यदि जल्द ही इस मानसिकता में बदलाव नहीं आया, तो ‘आ बाघ मुझे मार’ केवल एक मुहावरा नहीं, बल्कि भविष्य की कई त्रासद घटनाओं का शीर्षक बन सकता है.