VIDEO: पीसीसी अध्यक्ष गोविंद डोटासरा का सरकार पर निशाना, दो दर्जन मुद्दों को लेकर सरकार पर लगाए आरोप, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि  भाजपा की पर्ची सरकार में जनहित के निर्णयों पर "सक्षम स्तर" का दफ्तर केवल "निरुत्तर" बनकर रह गया है. डोटासरा ने कहा कि सरकार की अकर्मण्यता से निर्णय और नीति की शून्यता प्रदेश को गर्त में धकेल रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपाई शासन में जनकल्याण की जगह सिर्फ समीक्षा, भाषण और औचक निरीक्षण रह गए हैं.

पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा राज्य सरकार पर लगातार हमलावर हो रहे हैं. उन्होंने दो दर्जन से अधिक मुद्दे उठाते हुए राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. 

डोटासरा के आरोप
- पीने के पानी के लिए प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं
- बड़ी-बड़ी घोषणाओं के बाद भी सड़कों पर जलभराव है
- पहली बारिश में ही शहरों के बिजली तंत्र फेल हो गए हैं
- बिजली के बदहाल सिस्टम में कोई फोन उठाने वाला नहीं है
- डेढ़ साल बाद भी SI भर्ती पर अनिर्णय की स्थिति बनी हैं
- प्रमोशन के 6 माह बाद भी IAS, IPS को पोस्टिंग नहीं हैं
- प्रमोशन के बाद भी तहसीलदार पुराने पद पर कार्यरत हैं
- PWD में प्रमोशन के 2 माह बाद भी पोस्टिंग नहीं है
- काम करने के बाद भी ठेकेदारों का भुगतान नहीं है
- अधिकांश विभागों में प्रमुख पद पर अधिकारी नहीं है
- नया सत्र शुरू होने को है लेकिन किताबों की उपलब्धता नहीं है
- 18 हजार स्कूलों में 44 हजार व्याख्यताओं के पद नहीं है
- 13 हजार स्कूलों में अनिवार्य हिंदी और अंग्रेजी के पद सृजित नहीं है
- युवाओं को रोजगार नहीं है, 2 लाख बेरोजगारों को भत्ता नहीं है
- 8 लाख बुजुर्ग और महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा पेंशन नहीं है
- RGHS में इलाज नहीं है, 4 माह से अस्पतालों का भुगतान नहीं है
- 21 लाख पशुओं का बीमा, लेकिन किसी को सहायता राशि नहीं है
- नकली खाद-बीज से किसानों की बर्बादी पर जवाबदेही नहीं है
- किसान को सिंचाई का पानी नहीं है, MSP पर खरीदारी नहीं है
- अपराध की रिकॉर्ड घटनाएं लेकिन कानून का इकबाल नहीं है
- धरातल पर एक भी बजट घोषणा का क्रियान्वयन नहीं है
- पंचायत राज और नगर निकाय के समय पर चुनाव नहीं है
- डबल इंजन की सरकार को अहंकार में संविधान की परवाह नहीं है
- मंत्रियों और जनता के बीच संवाद नहीं है
- मुख्यमंत्री के दरबार में आम आदमी की सुनवाई नहीं है
- भ्रष्टाचार और बजरी की लूट पर लगाम नहीं है
- दिल्ली की पर्ची और खर्ची के बिना जनता का कोई काम नहीं है.