जयपुर : पर्यटन, कला संस्कृति से जुड़ी बजट घोषणाओं के क्रियान्वयन के लिए प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत की अध्यक्षता में गठित समिति ने 2 करोड रुपए से ऊपर की घोषणाओं की प्रगति की समीक्षा की. सभी घोषणाओं के समय बाद क्रियान्वयन के निर्देश दिए और गुणवत्तापूर्ण काम के लिए तैयार की गई डीपीआर की समीक्षा की.
यह समिति उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी के निर्देश पर तथा धरोहर प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत की अध्यक्षता में गठित की गई थी. समिति ने 28 प्रमुख धार्मिक, सांस्कृतिक और विरासतीय स्थलों के विकास प्रस्तावों पर विचार कर उनकी वित्तीय स्वीकृति, क्रियान्वयन की प्रगति और संभावित प्रभाव की समीक्षा की. बैठक में जयपुर जिले के राधा माधव मंदिर (641.76 लाख), खेड़ापति बालाजी मंदिर (514.13 लाख), और भौमियाजी मंदिर (255.19 लाख) से लेकर गुजरात के मुरली मनोहर मंदिर, द्वारिका (215.82 लाख) तक के कार्यों की स्थिति की समीक्षा की गई. इसमें कुल 100 करोड़ से अधिक की योजनाओं को शामिल किया गया. ब्यावर में स्थित पर्यटक स्थल देवमाली (मसूदा) के विकास कार्य हेतु 31.99 करोड़ रुपये का सबसे बड़ा प्रस्ताव रखा गया है.
इसके अलावा जालौर स्थित रामदेवरा पोकरण मंदिर के लिए 1055.18 लाख और बालोतरा स्थित हनुम्देश्वर महादेव मंदिर के लिए 3 करोड़ की राशि मंजूर की गई है. भीलवाड़ा जिले में मांडलगढ़ का किला, प्राचीन बावड़ियां और संग्रहालय परिसर के लिए 497.22 लाख रुपये की योजना प्रस्तावित है. साथ ही असिंदा के प्रसारसर तालाब एवं सावनभादों मंदिर के लिए भी 3 करोड़ रुपये की योजना चर्चा में रही. टोंक जिले के टोडारायसिंह में भूतनाथ महादेव मंदिर के लिए 423 लाख रुपये का प्रस्ताव भी पारित हुआ. कोटपुतली-बहरोड़ क्षेत्र में जैन नसीया जी विराटनगर में श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु 687.68 लाख रुपये की योजना, वहीं बारां जिले के रामगढ़ क्षेत्र में 90 लाख के विकास कार्य प्रस्तावित हैं. उदयपुर जिले के श्री जगन श्यामजी मंदिर के जीर्णोद्धार व विकास कार्य के लिए 491.15 लाख रुपये की राशि प्रस्तावित की गई है.
जिसे क्षेत्र में पर्यटन वृद्धि का माध्यम माना जा रहा है.समिति ने प्रत्येक प्रस्ताव की उपयोगिता, स्थानीय सहभागिता, प्रोजेक्ट रिपोर्ट की गुणवत्ता और कार्य की जमीनी प्रगति की समीक्षा की है. जिन परियोजनाओं में देरी या अड़चनें पाई गईं, उन्हें चिन्हित कर अगली बैठक में कार्यान्वयन एजेंसियों से जवाब मांगा जाएगा. यह समीक्षा बैठक राजस्थान में धार्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत स्थलों के संरक्षण को लेकर राज्य सरकार की गंभीर प्रतिबद्धता को दर्शाती है. इससे जहां पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, वहीं स्थानीय अर्थव्यवस्था, रोजगार और सांस्कृतिक चेतना को भी नई ऊर्जा मिलेगी. आने वाले महीनों में इन योजनाओं के जमीनी क्रियान्वयन की रफ्तार तय करेगी कि राजस्थान धार्मिक पर्यटन की नई ऊंचाइयों तक कैसे पहुंचता है.