VIDEO: नहीं होगी अब धोखाधड़ी ! 90 ए पोर्टल, ई पंजीयन पोर्टल और ई धरती पोर्टल का इंटीग्रेशन, देखिए ये खास रिपोर्ट 

जयपुर: सूचना और तकनीक के माध्यम से आमजन को राहत देने और जमीन से संबंधित धोखाधड़ी से बचाने के लिए जेडीए की ओर से दो और नए नवाचार लागू किए गए हैं. जेडीए आयुक्त आनंदी के निर्देश पर जेडीए की आईटी शाखा के अधिकारी के अथक प्रयासों से 90 ए पोर्टल, ई पंजीयन पोर्टल और ई धरती पोर्टल के इंटीग्रेशन में बड़ी सफलता मिली है. इसी इंटीग्रेशन के कारण अब कृषि भूमि के भू रूपांतरण के बाद भूमि को जेडीए के नाम दर्ज करने के लिए ऑटो म्यूटेशन सिस्टम लागू कर दिया गया है. आपको बताते हैं कि यह सिस्टम किस तरह काम करेगा और किस तरह से इसके कारण जमीनी धोखाधड़ी से बचाव हो सकेगा.

किस तरह से होगा जमीनी धोखाधड़ी से बचाव?
-90 ए पोर्टल और ई धरती पोर्टल का आपस में इंटीग्रेशन हो चुका है
-ई धरती पोर्टल और अपना खाता पोर्टल का इंटीग्रेशन पहले से ही है
-90 ए पोर्टल के माध्यम से ही कृषि भूमि के गैर कृषि उपयोग के उद्देश्य से भू रूपांतरण के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जाता है
-आवेदन के बाद इसी पोर्टल पर ऑनलाइन ही समस्त कार्यवाही संबंधित जेडीए और जिला प्रशासन के अधिकारियों की ओर से की जाती है
-पूरी कार्यवाही के बाद 90 ए का आदेश इस पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाता है
-किस भूमि की खातेदारी किस संस्थान या व्यक्ति के नाम दर्ज है इसकी जानकारी ई धरती पोर्टल पर उपलब्ध रहती है
-अपना खाता पोर्टल से खसरा नंबर व ग्राम आदि दर्ज कर कौनसे खसरे की भूमि किस खातेदार के नाम दर्ज है
-इसकी जानकारी इस पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध होती है
-ऑटो म्यूटेशन के तहत जब भी जेडीए की ओर से किसी भूमि की 90 ए की कार्यवाही के बाद उसका आदेश 90 ए के पोर्टल पर अपलोड किया जाता है
-तब भूमि का नामांतरण जेडीए के पक्ष में करने की एप्लीकेशन 90 ए पोर्टल पर ही तहसीलदार के इन बॉक्स में जनरेट हो  जाती है
-संबंधित राजस्व तहसीलदार को फिर कुछ फील्ड्स भरनी होती है
-इसके बाद तहसीदार जैसे ही फील्ड्स भरकर उसे सेव करते हैं
-तो सेव करते ही ई धरती पोर्टल और अपना खाता पोर्टल पर जेडीए के पक्ष में भूमि का नामांतरण दर्ज हो जाता है
-इस ऑटो म्यूटेशन सिस्टम से 90 ए के बाद भूमि का नामांतरण जेडीए के नाम खुलने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा
-90 ए कराने वाले आवेदक को भूमि जेडीए के नाम दर्ज कराने के लिए तहसील कार्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़ेगे
-जेडीए के नाम दर्ज होने के बाद ही जेडीए भूमि के ले आउट प्लान अनुमोदन की कार्यवाही करता है
-जेडीए के नाम भूमि दर्ज होने की जानकारी अपना खाता पोर्टल से आमजन को उपलब्ध होगी
-अब तक 90 ए के बावजूद भूमि का नामांतरण जेडीए के पक्ष में खुलने में कई दिन लग जाते थे
-ऐसे में भूमि का नामांतरण पूर्व वाले खातेदार के नाम ही दर्ज होने के चलते धोखाधड़ी की आशंका रहती थी
-पूर्व खातेदार की ओर से फर्जी तरीके से भूमि बेचान से धोखाधड़ी की आशंका रहती थी
-लेकिन अब ऑटो म्यूटेशन सिस्टम से आमजन का इस धोखाधड़ी से बचाव हो सकेगा

इसी तरह जेडीए की ओर से आईटी के माध्यम से एक और नवाचार लागू किया गया है. जेडीए की ओर से पहले से ही भूखंडों का ई पट्टा जारी किया जा रहा है. अब इस ई पट्टे के साथ "संपत्ति का इतिहास" प्रपत्र भी जारी करना शुरू किया गया है. आपको बताते हैं कि ई पट्टा और संपत्ति का इतिहास प्रपत्र आखिर क्या है.

आखिर ई पट्टा और संपत्ति का इतिहास प्रपत्र क्या है?
-ई पट्टे पर जेडीए के सभी संबंधित अधिकारियों की ओर से ई हस्ताक्षर ही किए जाते हैं
-ई पट्टा हस्ताक्षर के लिए ऑनलाइन ही आवेदक को उपलब्ध कराया जाता है
-आवेदक और गवाह भी ई पट्टे पर आधार नंबर के माध्यम से ई हस्ताक्षर करते हैं
-सभी पक्षों के ई हस्ताक्षर और ऑनलाइन पट्टे के फॉर्मेट को भरने के बाद उसका प्रिंट लिया जाता है
-पट्टे की निर्धारित शीट पर ही ई पट्टे का प्रिंट निकाला जाता है
-अब इस ई पट्टे के साथ "संपत्ति का इतिहास" प्रपत्र भी जारी करने की शुरूआत की गई है
-इस प्रपत्र भूखंड का पूरा इतिहास दर्ज किया जाता है
-भूखंड सबसे पहले किसे आवंटित हुआ था या इसका पहला भूखंडधारी कौन था
-उसके बाद भूखंड के बेचान व नाम हस्तांतरण के माध्यम से उसका मालिकाना हक कब किस व्यक्ति के पास रहा
-इसका पूरा ब्यौरा इस प्रपत्र में दर्ज किया जाता है
-इस "संपत्ति का इतिहास" प्रपत्र से भूखंड के खरीद-बेचान की पूरी कड़ी उपलब्ध रहती है
-इस नई व्यवस्था से भूखंड के फर्जी बेचान से होने वाली धोखाधड़ी से आमजन को राहत देने की कवायद है