जयपुरः प्राक्कलन समिति भ्रष्ट्राचार को रोकने में कामयाब हुई है. ये कहना है लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का. मुम्बई में आयोजित लोकसभा और विधानसभाओं की प्राक्कलन समितियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने ये बात कही. ओम बिरला ने सम्मलेन का आगाज किया. संसद और विधानसभा की प्राक्कलन समितियों के जिम्मे सरकारी धन के अपव्यय को रोकने और शासन में पारदर्शी और जवाबदेही लाने का काम है. सम्मलेन को महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस,उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत प्रमुख नेताओं ने संबोधित किया.
लोकसभा की प्राक्कलन समिति, जिसे अनुमान समिति भी कहा जाता है, का गठन 1950 में किया गया था. इसका मुख्य उद्देश्य है सरकार द्वारा किए गए खर्चों का आकलन करना और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को रोकना है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आगाज किया. लोकसभा व विधानसभाओं की प्राक्कलन समितियों के राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में ओम बिरला ने कहा कि लोकसभा की प्राक्कलन समिति के 75 से 80 फीसदी सिफारिशों को सरकार ने माना है और करप्शन को रोकने में ये कारगर साबित हुई. सरकारी खर्च को फील्ड में जाकर चेक करना का काम समिति करती है.
लोकसभा व विधानसभाओं की प्राक्कलन समितियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में मुंबई पहुँचने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने स्वागत किया. उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे , महाराष्ट्र विधान परिषद के अध्यक्ष राम शिंदे, विधान सभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर और प्राक्कलन समिति, महाराष्ट्र विधानमंडल के अध्यक्ष अइंजन खोटकर समेत प्रमुख नेता रहे मौजूद. संसद की प्राक्कलन समिति की स्थापना के 75 वर्ष होने के उपलक्ष्य में आयोजित सम्मेलन में वित्तीय निगरानी के माध्यम से सरकारी खर्चों की जांच और सार्वजनिक धन का न्यायपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने में प्राक्कलन समिति की भूमिका पर विचार विमर्श हुआ. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि ये क्षण प्राक्कलन समिति की विरासत का सम्मान है. 75सालों की लोकतंत्र की यात्रा में हमारा लोकतंत्र गौरवशाली हुआ है. चुनौतियों के बावजूद भारत का संसदीय लोकतंत्र स्वर्णिम रहा दुनिया का सबसे बड़ा और जीवंत लोकतंत्र भारत है विविधता को एक बनाने का काम किया. ये धरती छत्रपति शिवाजी की धरती है. महाराष्ट्र के CM देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि प्राक्कलन समिति डायनेमिक तरीके से काम करती है जिसके पहले गणना की जाए उसे प्राक्कलन कहते है किसकी भी विभाग को सही तरीके से पटरी पर लाना हो तो प्राक्कलन समिति के सामने आना होता है लोकतंत्र में कमेटी सिस्टम महत्वपूर्ण है कमेटिया सार्थकता के साथ काम करती है कमेटियों का डर प्रशासन को होता है प्राक्कलन समिति के माध्यम से अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने का काम करती है.
उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा देश की एक पार्टी बरसों तक गरीबी हटाओ का नारा लगाती रही मगर गरीबी हटाने का काम किया पीएम मोदी ने. राजस्थान विधानसभा प्राक्कलन समितियों के सभापति अर्जुन लाल जीनगर और बाबू सिंह राठौड़ ने भी भाग लिया.
लोकसभा की प्राक्कलन समिति, जिसे अनुमान समिति भी कहा जाता है
गठन 1950 में किया गया था इसका मुख्य उद्देश्य सरकार द्वारा किए गए खर्चों का आकलन करना और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को रोकना है
तत्कालीन वित्त मंत्री जॉन मथाई की सिफारिश पर 1950 में प्राक्कलन समिति का गठन किया गया था.
समिति में शुरू में 25 सदस्य थे, लेकिन 1956 में सदस्यों की संख्या बढ़ाकर 30 कर दी गई.
समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष द्वारा की जाती है
समिति के अध्यक्ष का कार्यकाल 1 वर्ष का होता है.
मुख्य कार्य:
सरकारी विभागों और मंत्रालयों के कामकाज की जांच करना.
बजट अनुमानों का विश्लेषण करना.
खर्चों में मितव्ययिता, दक्षता और प्रशासनिक सुधारों के सुझाव देना.
सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को रोकना.
यह समिति सरकार को जवाबदेह बनाने और सार्वजनिक धन के कुशल उपयोग को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
यह समिति सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को रोकने में भी मदद करती है.
यह समिति सरकार को खर्चों में कटौती और बचत करने के तरीकों का सुझाव देती है.
इस प्रकार, प्राक्कलन समिति भारतीय लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण संस्था है.