कांग्रेस में ओल्ड गार्ड वर्सेज युवा नेता जंग, सीपी जोशी के बयानों से फिर बहस हुई शुरु, देखिए खास रिपोर्ट

जयपुरः कांग्रेस में बुजुर्ग नेता है कि अब भी सियासी मैदान छोड़ने को बिल्कुल तैयार नहीं है. इस बात पर मुहर लगाई है कद्दावर नेता सीपी जोशी ने. पिछले दिनों सीपी जोशी ने फिर चुनाव लड़ने का बयान देकर इस बहस को फिर छेड़ दिया है. जोशी के इस बयान से एक बार फिर बुजुर्ग और युवा नेताओं में टकराव की अटकलें शुरु हो चुकी है. आप को बता दे कि राजस्थान में करीब 7 विधायक 75 साल की उम्र क्रॉस कर चुके है.

वैसे तो कांग्रेस पार्टी में बुजुर्ग और युवा नेताओं में टकराव और मनमुटाव कोई नई बात नहीं है. कईं दशकों से कांग्रेस में ओल्ड गार्ड और यूथ लीडर्स में शीत युद्ध जारी है. राहुल गांधी के  कमान संभालने के बाद एक समय तो ओपन पार्टी युवा औऱ बुजुर्ग नेताओं के दो खेमों में बंट गई थी. यहां तक युवाओं को ज्यादा तरजीह देने के चलते  पार्टी में ग्रुप 23 तक बन गया था. अब एक बार फिर वरिष्ठ नेता सीपी जोशी के बयान से युवा और बुजुर्ग नेताओं में टकराव की चर्चाएं फिर तेज हो चुकी है. क्योंकि सीपी जोशी ने साफ कहा कि वो 75 साल की आयु में भी चुनाव लड़ने का दमखम रखते हैं. 

सीपी जोशी के इस बयान के आधार पर अगर राजस्थान के नेताओं की एज प्रोफाइल पर एक नजर डाले तो कईं चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं.

कांग्रेस के मौजूदा 4 विधायक कर चुके है 80 साल की उम्र कॉस
दीपचंद खैरिया,धारीवाल,हरिमोहन शर्मा और दयाराम परमार सबसे बुजुर्ग MLA
दीपचंद खैरिया की उम्र हो चुकी है 84 साल
धारीवाल 82,शर्मा 83 और परमार हो चुके है 80 साल के
करीब आधा दर्जन से ज्यादा नेता हो चुके है 70 साल पार
अशोक गहलोत और सुरेश मोदी की हो चुकी है 74 साल आय़ु
भीमराज भाटी 78 साल औऱ हरेन्द्र मिर्धा हो चुके है 76 साल के 
लक्ष्मण मीणा 74 और श्रवण कुमार-सीएल प्रेमी की हो चुकी है 71 साल आयु

सीपी जोशी के बयान को लेकर राजस्थान कांग्रेस गलियारों में कईं तरह की चर्चाएं जारी है. बयान के नेता अपने अपने हिसाब से अब मायने भी निकाल रहे हैं. युवा नेताओं में सीपी जोशी के इस बयान से नाराजगी और बेचैनी देखी जा रही है. क्योंकि सीपी जोशी के बयान से एक बात तो साफ है कि 2028 के विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण में टकराव तय है. 

लगातार चुनाव हारने के बाद कांग्रेस में यह टकराव बिल्कुल शुभ संकेत नहीं है. क्योंकि पुराने और युवा नेताओं के टकराव के चलते कांग्रेस को कईं बार नुकसान उठाना पड़ा है. मध्यप्रदेश में तो ज्योतिरादित्य ने सरकार तक गिरा दी थी. वहीं कईं यंग लीडर तो पार्टी छोड़कर चले गए. राजस्थान में भी कांग्रेस चुनाव में इसका खामियाजा भुगत चुकी है. अब देखना है कि सीपी जोशी ने जो फिर जो तीर छोड़ा है वो अब बयानों तक सीमित रहता है या फिर टकराव में तब्दील होता है.