जयपुरः सरिस्का प्रदेश में बाघों की नई नर्सरी बन गया है. अब सरिस्का की बाघिन एसटी 30 आज तीन शावकों के साथ कैमरा ट्रैप हुई. सरिस्का में अब बाघों की संख्या बढ़कर 45 के आंकड़े पर पहुंच गई है. पिछले 72 घंटे की बात करें तो रविवार को नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बाघिन रानी ने पांच शावकों को जन्म दिया, सोमवार को रणथंभौर में आरबीटी 2313 दो शावकों के साथ नजर आई और आज सरिस्का में एसटी 30 कैमरा ट्रैप में 3 शावकों के साथ दिखी. यानी पिछले 72 घंटे में तीन बाघिनों ने 10 शावकों को जन्म दिया है जो राजस्थान में बाघ संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
टाइगर रिजर्व बाघ बाघिन सब एडल्ट/शावक कुल
रणथंभौर 24 24 25 73
सरिस्का 10 14 21 45
धौलपुर 02 03 07 12
विषधारी 02 01 03 06
मुकंदरा 01 02 - 03
प्रदेश में कुल 38 45 56 139
बाघ विहीन हो चुके सरिस्का में अब 45 बाघों की दहाड़ सुनाई दे रही है. वर्ष 2008 में सरिस्का में बाघ पुनर्वास कार्यक्रम शुरू किया था जो आज 45 बाघों की संख्या तक पहुंच गया है. पिछले वर्ष तीन महीने में तीन बाघिनों ने 13 शावकों को जन्म दिया था. पहले एसटी 12 ने चार शावकों को जन्म दिया फिर एसटी 27 ने दो शावक डिलीवर किए और बाघिन एसटी 22 भी चार शावकों के साथ दिखी. बाघिन एसटी 17 भी तीन शावकों के साथ कैमरा ट्रेप में दिखी थी. अब एक बार फिर सरिस्का में बाघिनो द्वारा खुशखबरी का सिलसिला शुरू हो गया है. बाघिन एसटी 30 भगानी क्षेत्र में शावकों के साथ दिखाई दी है. सरिस्का मैं आज तक कि बाघों कि यह सर्वोच्च संख्या है. बीते 72 घंटे की बात करें तो नारगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में एक सफेद सावन सहित पांच शावक पैदा हुए जबकि रणथंभौर में दो और सरिस्का में तीन शावक पहली बार अपनी मां के साथ कैमरा ट्रैप हुए. पूरे राजस्थान की बात करें तो प्रदेश में अब बाघों की संख्या बढ़कर 139 हो गई है. ऐसे में रामगढ़ विषधारी और मुकुंदरा में बाघ पुनर्वास कार्यक्रम तेज करने, रणथंभौर में लिंगानुपात सुधारने और सरिस्का में गांव विस्थापित कर नए ग्रासलैंड तैयार करने की बेहद जरूर दिखाई देती है. 113 संजय शर्मा का कहना है कि प्रदेश में बढ़ती बाघों की आबादी शुभ संकेत है अब टाइगर मैनेजमेंट पर और ठोस कार्य करने होंगे.
सरिस्का का बाघों से आबाद होना साबित करता है कि कोर क्षेत्र से गांवों का विस्थापन कितना अहम है. बाघिनों ने शावकों को जन्म देने के लिए उन्हीं स्थानों को चुना है जहां कभी ग्रामीण रहते थे और अब वहां जोरदार ग्रासलैंड है. इसका मतलब है कि बाघ अब स्ट्रेस में नहीं है और मानवीय दखल कम होने से नैसर्गिक वातावरण में वंश वृद्धि कर रहे हैं. इस मामले में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक शिखा मेहरा का कहना है कि यह बाघ संरक्षण में बेहतर काम का ही प्रतिफल है. जल्द ही गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया को और सरल व सर्वमान्य बनाने के प्रयास होने चाहिएं. सरिस्का के फील्ड डायरेक्टर संग्राम सिंह कटियार की की प्रभावी मॉनिटरिंग और वाइल्डलाइफ के स्ट्रेस मैनेजमेंट को लेकर विशेष कार्य करने से सरिस्का तेजी से बाघों की नर्सरी के तौर पर तब्दील हो रहा है. वन मंत्री संजय शर्मा कहते हैं कि बढ़ती बाघों की संख्या के लिए हम तैयार हैं. अभी पर्याप्त क्षेत्र है और जरूरत पड़ी तो कुंभलगढ़ के टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद वहां भी ट्रांसलोकेशन किया जाएगा. प्रदेश में बाघों की बढ़ती संख्या को देखते हुए वन विभाग ने धौलपुर से कुंभलगढ़ तक वृहद टाइगर कॉरिडोर को लेकर तैयारी शुरू कर दी है. इस वर्ष कुंभलगढ़ को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिल सकता है. इसी तरह सरिस्का में जल्द ही दूसरे वन मंडलों का 607 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जोड़े जाने की प्रक्रिया चल रही है. सरिस्का और रणथंभौर के बीच बाघों की संख्या का अंतर घटता जा रहा है. उम्मीद की जा रही है कि सरिस्का जल्द ही देश में बाघ संरक्षण के अग्रणी टाइगर रिजर्व की फेहरिस्त में शुमार हो जाएगा.
बाघों की बढ़ती आबादी की खबर उत्साह जनक तो है लेकिन इस बात की चेतावनी भी है कि जल्द ही गांव विस्थापन, नए टाइगर रिजर्व घोषित करने, ग्रासलैंड विकसित करने और प्रे बेस मैनेजमेंट पर काम होना चाहिए अन्यथा मानव-बाघ संघर्ष बढ़ेगा इससे बाघों को भी नुकसान है और इंसान को भी.