जयपुर : सचिवालय में कार्यव्यवस्था के दो आधार स्तंभ रहे दो कैडरों में टकराव के बाद अब फार्मूले पर सहमति बनी है. अधिकारी संघ और PA/PS कैडर में 16-10 के अनुपात पर सहमति होने पर भी यथास्थिति बनी हुई है जिसे लेकर फिर एक बार सियासत तेज होने की आशंकाएं उभर रहीं हैं.
2023 में सचिवालय अधिकारियों का और PA/PS कैडर में टकराव की स्थिति बनी थी और तब दोनों कैडरों को अलग-अलग करने का मुद्दा उभरा था. हालांकि अधिकारी संघ की PA/PS कैडर को अलग करने की अभी तक की कोशिशें परवान नहीं चढ़ पाईं.
अब यह निकला है फॉर्मूला
दरअसल जो सचिवालय अधिकारियों का पीए/पीएस संघ के साथ विरोध का कारण यह माना जाता रहा है कि सचिवालय की पूरी सेवा को आवंटित पदों में से काफी बड़ा हिस्सा पीए/पीएस कैडर को मिल जाता है.
ऐसे में अब 13-10 के अनुपात के बजाय 16-10 के अनुपात में पद आवंटन के फॉर्मूले पर मोटे तौर पर सहमति बनी है.
इसके बाद भी आदेश जारी नहीं होने और मुद्दा अटकने से आशंकाएं उभर रहीं हैं.
क्या होगा फॉर्मूला लागू होने पर ?
फॉर्मूला लागू होने पर सचिवालय सेवा को आवंटित कुल पदों में से 16-10 का अनुपात रहेगा यानि सचिवालय के मूल अधिकारियों व कर्मचारियों का संवर्ग है उसे और ज्यादा पद मिलेंगे.
इससे इस संवर्ग के पदोन्नति के रास्ते खुलेंगे
कैडर पृथक्करण से क्या हो सकता है नुकसान ?
सचिवालय के कर्मचारी और अधिकारी व पीए/पीएस दोनों ही आधारस्तंभ हैं.
दोनों को अलग-अलग करने से दोनों ही कैडरों के लिए सरकार को भविष्य में अलग-अलग स्वतंत्र रूप से पद आवंटित करने होंगे.
इससे दोनों ही कैडरों में पहले से ज्यादा पद मिलने की संभावना है. खास तौर पर इसका फायदा सचिवालय के अधिकारी वर्ग को होने का इसलिए है कि उनके लिए जो पद मिलेंगे वे पीए/पीएस संघ में बंटेंगे नहीं.
-दोनों कैडरों को अलग करने का मुद्दा संघों के चुनाव में उभरता रहा है और प्रत्याशियों के जीत-हार का सबब बनता रहा है.