बीजेपी का प्रशिक्षण शिविर: कांग्रेस और अन्य दलों से आकर BJP से विधायक बने, उनके लिए ये प्रशिक्षण शिविर बेहद खास, देखिए ये रिपोर्ट

जयपुर: राजस्थान बीजेपी का प्रशिक्षण शिविर उन बीजेपी के जनप्रतिनिधियों के लिए बेहद खास जो कांग्रेस और अन्य दलों से आकर बीजेपी से विधायक बन गए.ऐसे ट्रेनिंग कैंप इन विधायकों के लिए बीजेपी और संघ का क, ख, ग सीखने के समान हैं. बीजेपी में विचारधारा का महत्व है. इसमें भी सबसे अहम है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा.बीजेपी को संघ की ही राजनीतिक विंग कहा जाता है.मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा संघ शिक्षित है तो वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ बीजेपी में आगमन से पहले संघ के प्रचारक रहे हैं.

फिर भी अपने कालखंड में बीजेपी को खुद को मजबूत बनाने के लिए समय समय पर पराए दलों से नेताओं को लेना पड़ा.इन्हें टिकट देकर विधायक और सांसद भी बनाया, लेकिन बीजेपी की ये खासियत है कि वो अपने दल में शामिल कर परायों को ना केवल अपना बनाती है बल्कि उन्हें विचारधारा की घुट्टी भी पिलाती है.गुजरात के केवड़िया में बीजेपी राजस्थान के जनप्रतिनिधियों का प्रशिक्षण शिविर इसलिए खास है यहां भी कुछ है जो कांग्रेस या अन्य दलों से आगे और जिन्हें जरूरत है बीजेपी संघ विचारों की.ये विधायक है खंडेला से सुभाष मील, कठूमर से रमेश खींची, करौली से दर्शन सिंह गुर्जर ,बांदीकुई से भागचंद टांकड़ा और सपोटरा से हंसराज मीना.

सुभाष मील विधायक खंडेला:
-मील अतीत में कांग्रेसी रहे
-कांग्रेस पार्टी से खंडेला से चुनाव भी लड़ चुके
-अच्छे वोट लाकर भी चुनाव हार गए थे
-बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आ गए
-खंडेला से बीजेपी टिकट पर विधायक बन गए
-कांग्रेस में सचिन पायलट के खास हुआ करते थे

रमेश खींची विद्यायक कठूमर:
-रमेश खींची अतीत में कट्टर कांग्रेसी रहे है
-कांग्रेस टिकट पर कठूमर से चार चुनाव लड़े
-कठूमर से कांग्रेस के दो बार विधायक भी रह चुके
-खींची का टिकट कटा तो बीजेपी से टिकट लेकर विधायक बन गए

दर्शन सिंह गुर्जर विधायक करौली:
-दर्शन सिंह गुर्जर ने 2008 में बसपा के टिकट पर करौली से चुनाव लड़ा था
-बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए
-2013 के विधानसभा चुनाव में वे कांग्रेस के टिकट पर करौली से विधायक चुने गए थे
-2018 में भी उन्हें कांग्रेस ने टिकट दिया, लेकिन वे बसपा प्रत्याशी के सामने चुनाव हार गए थे
-दर्शन सिंह गुर्जर सचिन पायलट समर्थक नेता माने जाते हैं
-टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था
-आज बीजेपी के टिकट पर विधायक

हंसराज मीणा विधायक सपोटरा:
-हंसराज मीणा बहुजन समाज पार्टी के नेता रहे
-बसपा से सपोटरा से चुनाव लड़ा
-बीते चुनाव में बसपा का दामन त्यागकर बीजेपी से चुनाव लड़ा
-सपोटरा से रमेश मीणा को चुनाव हराया

भागचंद टांकड़ा विधायक बांदीकुई:
-टांकडा ने बसपा से चुनाव लड़ चुके
-बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर 44 हजार वोट लिए
-बीजेपी को माली चेहरा चाहिए था टांकड़ा को टिकट दे दिया
-बीजेपी के टिकट पर टांकड़ा ने कांग्रेस के GR खटाना को हरा दिया

बहरहाल गैर बीजेपी विचारधारा के यही चेहरे नहीं है कई ऐसे भी जो सालों पहले अलग अलग दलों से बीजेपी में आकर खुद को पूरी तरह भाजपाई बना चुके है.पूर्व केंद्रीय मंत्री और गांधी परिवार के करीबी नटवर सिंह के बेटे जगत सिंह आज बीजेपी के विधायक है.राजेंद्र राठौड़ जनता दल से बीजेपी में आकर बीजेपी के चमकते सितारे है.वही नाराज होकर कट्टर संघनिष्ठ चेहरे घनश्याम तिवाड़ी ने एक बार बीजेपी छोड़ कर कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी,इससे पहले एक पार्टी भी बनाई हालांकि उनकी घर वापसी के बाद बीजेपी ने राज्यसभा सांसद बना दिया.

डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने तो अलग पार्टी बनाकर विधानसभा में धमक पैदा की थी मगर तृतीय वर्ष संघ शिक्षित डॉक्टर साहेब आज अपने मूल दल में है और भजन लाल सरकार में कैबिनेट मंत्री.बीते चुनाव से पहले लाल चंद कटारिया,राजेंद्र यादव, रिछपाल मिर्धा,विजय पाल मिर्धा ,सुभाष महरिया जैसे बड़े कांग्रेस चेहरे बीजेपी में आ गए थे .कुछ ऐसे भी रहे जिन्हें टिकट नहीं मिलने पर बीजेपी छोड़नी पड़ी और ये निर्दलीय जीत गए इन्हें भी ट्रेनिंग कैंप में बुलाया गया है ये है चितौड़ विधायक चंद्रभान आख्या, बयाना विधायक ऋतु बनावत, भीलवाड़ा विधायक अशोक कुमार कोठारी,बाड़मेर से विधायक प्रियंका चौधरी और सांचौर से विधायक जीवाराम चौधरी.अलबत्ता राहुल कसवां सरीखे भाजपाई चेहरों को अपना दल छोड़ना पड़ा और कांग्रेसी रह चुकी ज्योति मिर्धा को अपना दल.स्वर्गीय गंगाराम चौधरी से लेकर स्वर्गीय भंवर लाल शर्मा .ऐसे कई नाम है जिन्होंने समय समय पर दल बदले.बीजेपी में आने के बाद पराए दल से आने वालों को बीजेपी ने नए सिरे से गढ़ा.