जयपुर: राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विवि का 10वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया. बिड़ला सभागार में राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने अपने संबोधन में कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में भारत आरंभ से ही बहुत समृद्ध रहा. भारतीय चिकित्सा विज्ञान के तीन बड़े नाम-चरक, सुश्रुत और वाग्भट'. चरक संहिता, सुश्रुतसंहिता व वाग्भट का अष्टांगसंग्रह चिकित्सा क्षेत्र में आज भी आदर्श है. चरक संहिता में मानव शरीर, लक्षण विज्ञान और रोगों की एक विस्तृत श्रृंखला के अंतर्गत चिकित्सा के प्राचीन सिद्धांतों का वर्णन है. इसमें आहार, स्वच्छता, रोकथाम, चिकित्सा शिक्षा और विभिन्न रोगों के लिए आवश्यक चिकित्सक है. नर्स और रोगी की टीम वर्क के महत्व पर भी बहुत महती जानकारियां है.
सुश्रुत हमारे यहां के बहुत बड़े शल्य चिकित्सक हुए. उनकी लिखी सुश्रुत संहिता में शल्यचिकित्सा पर बहुत महत्वपूर्ण जानकारियां है. आज से लगभग 2800 साल पहले प्लास्टिक सर्जरी कैसे होती थी? इसे इस महान ग्रंथ में बताया गया. हमारे यहां से बहुत सारा ज्ञान विदेशों में चला गया. इसका अनुमान आप इसी से लगा सकते है. 8वीं शताब्दी में सुश्रुत संहिता का अरबी भाषा में किताब-ए-सुसुद' नाम से अनुवाद हुआ था. वाग्भट का अष्टांगसंग्रह चरक और सुश्रुत संहिता दोनों का संयोजन है. इसमें आंतरिक चिकित्सा, बाल चिकित्सा, मनोचिकित्सा, ईएनटी, विष विज्ञान, मूल शल्य चिकित्सा, जराचिकित्सा आदि के महत्वपूर्ण सूत्र है. राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने आह्वान किया. भारत की परंपरागत प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों में चिकित्सा उपलब्ध है. अर्ध-चिकित्सा संबंधी विशाल ज्ञान के साथ आधुनिक चिकित्सा के ध्वजवाहक बनें.
राज्यपाल ने नालन्दा विश्वविद्यालय का जिक्र करते हुए कहा कि ये विश्व का महानतम विश्वविद्यालय था,उसका पुस्तकालय भी बहुत बड़ा है. नालंदा शब्द ना, आलम और दा शब्दों से मिलकर बना है. इसका मतलब होता है-ऐसा उपहार, जिसकी कोई सीमा नहीं है. यह दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय था. जहां पर एक ही परिसर में शिक्षक और छात्र रहते थे. तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने इस विश्वविद्यालय के पुस्तकालय को जला दिया. इसके पीछे का कारण ये था कि एक बार खिलजी बहुत अधिक बीमार था. उसे बताया गया कि विवि के आयर्वेदाचार्य यदि इलाज करेंगे तो वह स्वस्थ हो जाएगा. आयुर्वेदाचार्य ने खिलजी को कुछ आयुर्वेदिक दवाएं दी. परन्तु उसने दवाओं को खाने से इनकार कर दिया. वैद्यजी ने तब उसकी आदतों के बारे में पूछा तो पता चला कि वह रोज कुरान पढ़ता है. थूक लगाकर उसके पन्ने पलटता है, तो आयुर्वेदाचार्य ने कुरान के पन्नों पर आयुर्वेद दवा का लेप कर दिया. कुछ दिनों में खिलजी ठीक हो गया. जब उसे पता चला कि भारत का यह महान ज्ञान नालन्दा की देन है, तो उसने उसके पुस्तकालय को जलवा दिया ताकि यह ज्ञान सदा के लिए समाप्त हो जाए. अब हमारे PM मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से शिक्षा, ज्ञान और सांस्कृतिक चेतना का वैश्विक केंद्र बनाने की पहल की है.
राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि हमारे यहां प्राचीनकाल में समावर्तन संस्कार होता था. इसमें गुरु अपने शिष्यों को मंत्र के रूप में अंतिम उपदेश देते थे. वे कहते थे धर्म का आचरण करो स्वाध्याय में कभी प्रमाद मत करो. सत्य बोल का आचरण करें, उन्नति करें, देवकार्य करें. अर्थात हमारे जो-जो अच्छे आचरण हैं, वे ही तुम्हें करने चाहिए, अन्य नहीं. डॉक्टरी की शिक्षा में यह उपदेश बहुत काम का, जिसका सभी को पालन करना चाहिए. राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि दीक्षांत का अर्थ है, प्राप्त किए गए ज्ञान का एक पड़ाव पूरा होना. इसके बाद विद्यार्थी जीवन के व्यावहारिक क्षेत्र में प्रवेश करता है. आप सभी ने चिकित्सा शिक्षा प्राप्त की, यह बहुत महत्वपूर्ण है. चिकित्सा शिक्षा का अर्थ है-सेवा के लिए संकल्पबद्ध होना. राज्यपाल ने सभी से आह्वान किया, 'जो चिकित्सा की शिक्षा प्राप्त की. उससे वे समाज तथा राष्ट्र के भले के लिए कार्य करेंगे.