जयपुर: अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को है. इस दिन परशुराम जयंती भी मनाई जाती है. इसे अक्षय तृतीया और आखा तीज कहते हैं. अक्षय यानी जिसका कभी क्षय नहीं होता है. इस तिथि पर किए गए शुभ कामों से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता है. ग्रंथों के मुताबिक इसी दिन सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी. इस दिन किया गया जप, तप, ज्ञान, स्नान, दान, होम आदि अक्षय रहते हैं. इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया 30 अप्रैल को है. इसे अक्षय तृतीया और आखा तीज कहा जाता है. हर वर्ष वैशाख शुक्ल की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाले अक्षय तृतीया के दिन रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र का संयोग है. इस साल अक्षय तृतीया पर बेहद ही शुभ संयोग बनने जा रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ शोभन और रवि योग का संयोग बन रहा है. अक्षय तृतीया पर सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा. इसके साथ ही लक्ष्मी नारायण राज योग का निर्माण हो रहा है. मान्यताओं के अनुसार इस योग में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने और सोना खरीदने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन किए गए व्रत-उपवास और दान-पुण्य से अक्षय पुण्य मिलता है. अक्षय पुण्य यानी ऐसा पुण्य जिसका कभी क्षय (नष्ट) नहीं होता है. अक्षय तृतीया पर जल का दान जरूर करना चाहिए. साल में चार अबूझ मुहूर्त आते हैं. इन मुहूर्त में विवाह आदि सभी मांगलिक कार्य बिना शुभ मुहूर्त देखे किए जा सकते हैं. ये चार अबूझ मुहूर्त हैं - अक्षय तृतीया, देवउठनी एकादशी, वसंत पंचमी और भड़ली नवमी. ये चारों तिथियां किसी भी शुभ काम की शुरुआत करने के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गई हैं. शुभ संयोग और ग्रहों की विशेष स्थिति में अक्षय तृतीया पर दान करने से पुण्य की प्राप्ति होगी. इस दिन जल से भरे कलश पर फल रखकर दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है. इस दिन अबूझ मुहूर्त में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं.
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया को एक शुभ मुहूर्त और महत्वपूर्ण तिथि माना जाता है. अक्षय तृतीया के त्योहार को आखा तीज कहा जाता है. हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर यह पर्व मनाया जाता है. इस तिथि पर सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य किया जा सकता है. अक्षय तृतीया के दिन खरीदारी करना बेहद शुभ होता है. इसे अबूझ मुहूर्त भी कहा है. इस दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था. इसलिए इसे परशुराम तीज भी कहते हैं. इसी दिन भगवान विष्णु ने नर और नारायण के रूप में अवतार लिया था.
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया धर्म-कर्म के साथ ही दान-पुण्य करने का महापर्व है. इस दिन घर के लिए जरूरी सामान की खरीदारी करने का भी विशेष महत्व है. मान्यता है कि अक्षय तृतीया के व्रत-उपवास और दान-पुण्य से अक्षय पुण्य मिलता है. अक्षय पुण्य यानी ऐसा पुण्य जिसका कभी क्षय (नष्ट) नहीं होता है. ज्यादा दान न कर सके तो इस दिन कम से कम जल का दान जरूर करना चाहिए. मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई चीजें लंबे समय तक खराब नहीं होती हैं. इस तिथि पर सोना-चांदी खरीदने की परंपरा भी है.
शुभ समय
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने के लिए शुभ समय 30 अप्रैल को सुबह 5:41 मिनट से लेकर दोपहर 2:12 मिनट तक है. इस दौरान सोने की खरीदारी कर सकते हैं. इसके साथ ही 29 अप्रैल की शाम के भी सोने की खरीदारी कर सकते हैं.
शुभ योग
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया पर दुर्लभ शोभन योग का संयोग बन रहा है. शोभन योग का समापन दोपहर 12:02 मिनट पर होगा. साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग है. सर्वार्थ सिद्धि योग दिन भर है. इस योग में खरीदारी करने से शुभ फल मिलेगा. साथ ही शुभ काम में सिद्धि मिलेगी. रात्रि के समय रवि योग का निर्माण हो रहा है. भगवान परशुराम का भी जन्मोत्सव भी मनाया जाएगा अक्षय तृतीया के दिन रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र का संयोग है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ शोभन और रवि योग का संयोग बन रहा है. इसके साथ ही लक्ष्मी नारायण राज योग का निर्माण हो रहा है. मान्यताओं के अनुसार इस योग में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने और सोना खरीदने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.
पितरों की तृप्ति का पर्व
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इसी दिन बद्रीनाथ धाम के पट खुलते हैं. अक्षय तृतीया पर तिल सहित कुश के जल से पितरों को जलदान करने से उनकी अनंत काल तक तृप्ति होती है. इस तिथि से ही गौरी व्रत की शुरुआत होती है. जिसे करने से अखंड सौभाग्य और समृद्धि मिलती है. अक्षय तृतीया पर गंगास्नान का भी बड़ा महत्व है. इस दिन गंगा स्नान करने या घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं.
तीर्थ स्नान और अन्न-जल का दान
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस शुभ पर्व पर तीर्थ में स्नान करने की परंपरा है. ग्रंथों में कहा गया है कि अक्षय तृतीया पर किया गया तीर्थ स्नान जाने-अनजाने में हुए हर पाप को खत्म कर देता है. इससे हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं. इसे दिव्य स्नान भी कहा गया है. तीर्थ स्नान न कर सकें तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर नहा सकते हैं. ऐसा करने से भी तीर्थ स्नान का पुण्य मिलता है. इसके बाद अन्न और जलदान का संकल्प लेकर जरुरतमंद को दान दें. ऐसा करने से कई यज्ञ और कठिन तपस्या करने जितना पुण्य फल मिलता है.
दान से मिलता है अक्षय पुण्य
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया पर घड़ी, कलश, पंखा, छाता, चावल, दाल, घी, चीनी, फल, वस्त्र, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा और दक्षिणा सहित धर्मस्थान या ब्राह्मणों को दान करने से अक्षय पुण्य फल मिलता है. अबूझ मुहूर्त होने के कारण नया घर बनाने की शुरुआत, गृह प्रवेश, देव प्रतिष्ठा जैसे शुभ कामों के लिए भी ये दिन खास माना जाता है.
अक्षय तृतीया
तृतीया तिथि आरंभ: 29 अप्रैल, सायं 05: 31 मिनट पर
तृतीया तिथि समाप्त: 30 अप्रैल,दोपहर 02:31 मिनट पर
उदया तिथि के अनुसार अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को मनाई जाएगी.
ब्रह्मा के पुत्र अक्षय का प्राकट्य दिवस
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया को युगादि तिथि भी कहते हैं. अक्षय का अर्थ है, जिसका क्षय न हो. इस तृतीया का विष्णु धर्मसूत्र, भविष्य पुराण, मत्स्य पुराण और नारद पुराण में उल्लेख है. ब्रह्मा के पुत्र अक्षय का इसी दिन प्राकट्य दिवस रहता है. दान के लिए खास दिन इस दिन अत्र व जल का दान करना शुभ माना है. खास कर जल से भरा घड़ा या कलश किसी मंदिर या प्याऊ स्थल पर जाकर रखना चाहिए. ऐसा करने से सुखसमृद्धि बढ़ती है. इस दिन प्रतिष्ठान का शुभारंभ, गृह प्रवेश व अन्य मंगलकार्य करना विशेष फलदायी रहता है.
भगवान विष्णु ने लिए कई अवतार
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया को चिरंजीवी तिथि भी कहा जाता है, क्योंकि इसी तिथि पर भगवान विष्णु के अवतार परशुराम जी का जन्म हुआ था. परशुराम जी चिरंजीवी माने जाते हैं यानी ये सदैव जीवित रहेंगे. इनके अलावा भगवान विष्णु के नर-नरायण, हयग्रीव अवतार भी इसी तिथि पर प्रकट हुए थे.
विष्णु-लक्ष्मी की विशेष पूजा
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अक्षय तृतीया पर सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि के बाद घर के मंदिर में विष्णु जी और लक्ष्मी जी पूजा करें. सबसे पहले गणेश पूजन करें. इसके बाद गाय के कच्चे दूध में केसर मिलाकर दक्षिणावर्ती शंख में भरकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमाओं का अभिषेक करें. इसके बाद शंख में गंगाजल भरकर उससे भगवान विष्णु जी और देवी लक्ष्मी का अभिषेक करें. भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी को लाल-पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें. हार-फूल, इत्र आदि अर्पित करें. खीर, पीले फल या पीली मिठाई का भोग लगाएं. पीपल में भगवान विष्णु का वास माना गया है. इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं. किसी मंदिर में या जरूरतमंद लोगों को अन्न-जल, जूते-चप्पल, वस्त्र, छाते का दान करें. सूर्यास्त के बाद शालिग्राम के साथ ही तुलसी के सामने गाय के दूध से बने घी का दीपक जलाएं. अक्षय तृतीया पर किसी सामूहिक विवाह में धन राशि भेंट करें. किसी अनाथ बालिका की शिक्षा या उसके विवाह में आर्थिक मदद करें.