VIDEO: मानसून की ए्ंट्री से पहले नालों की सफाई शुरू, ग्रेटर निगम और हेरिटेज निगम में होंगे सफाई कार्य, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: गर्मी के बाद अब प्रदेश में मानसून की एंट्री जून माह के अंत तक होने वाली है ऐसे में दोनों ही नगर निगम अपने अपने क्षेत्र में 100 फीसदी नाला सफाई होने का दावा करते आए है, लेकिन जब मानसून आएगा तब दोनों ही नगर निगमों की नाला सफाई की सच्चाई सामने आएगी. दावा यह भी है इस बार शहर में जलभराव नहीं होगा. 

किस जॉन में कितने नाले:
-हवामहल जोन कुल 190 नाले
-सिविल लाइन कुल 66
-किशनपोल में कुल 45
-आदर्श नगर में कुल 74 नाले

प्रदेश में जून महीने के अंतिम सप्ताह तक मानसून की एंट्री होने वाली हैं. इससे पहले जयपुर शहर में नालों की सफाई का काम अब अपने शूरूआती चरण में हैं. जयपुर में एक हजार से ज्यादा छोटे बड़े नाले साफ किए जा रहे हैं. अक्सर हर साल मॉनसून के दौरान शहर में सड़कों पर जलभराव की समसयाएं देखी जाती है. नालों की सफाई और ड्रेनेज सिस्टम फेल होने की शिकायते आम तौर पर देखी जाती रही. इस बार जयपुर के दोनों नगर निगमों ने इस साल नालों की सफाई के कार्य का फरवरी से ही टेंडर प्रोसेज कर शुरूआत कर दी गई. ग्रेटर नगर निगम में चार सौ किलोमीटर की लंबाई वाले करीब साढे सात सौ नाले है तो हैरिटेज निगम के सौ किलोमीटर लंबाई वाले करीब तीन सौ नालों में सफाई का काम-काज शामिल है. निगम के प्रशासनिक अधिकारियों की माने तो इस बार समय रहते नालों की सफाई का काम पूरा कर लिया जाएगा. जेसीबी के जरिए नालों से रोज सैंकड़ों टन मलबा निकाला जाएगा. ऐसे स्थानों को विशेष रूप चिह्नित कर निर्देश दिए है कि दोनों नालों के जिन प्वाइंट्स पर पानी का बहाव ज्यादा रहता है, वहां पर नाले की निचली सतह तक सफाई कर मलबा निकाला जाए.प्रशासन का कहना है कि दोबारा अब नालों की सफाई की मॉनिटरिंग की जाएगी.

हेरिटेज निगम की गैराज शाखा के पास दो बडे नाले:
-नागतलाई और ब्रहम्पुरी नाला
-नाग तलाई नाला लगभग 7.5 केमी लम्बा है
-वहीं, ब्रहमपुरी नाला 3.5 किमी लम्बा है,

इधर, शहरवासियों की माने तो जयपुर में अगर इस बार भी भारी बारिश हुई तो तय मानिए, यह गंदे नाले उफनते नजर आएंगे. कई जगह पर हालात बाढ जैसे हो जाते है पिछले साल गाड़ियां तैरती भी नजर आती है. जरा सी बारिश में पानी भरने के ऐसे हालात जयपुर के कई स्थानों पर हो जाते है. जयपुर शहर के हालात यह है कि तेज बारिश के बाद शहर की सभी प्रमुख सड़कें बहने लग जाती है. चारदीवारी के अलावा बाकी जगहों पर हालात ज्यादा खराब होते हैं. सबसे बड़ी समस्या होती है सीकर रोड बीआरटीएस कॉरिडोर, बीटू बाइपास, न्यू सांगानेर रोड, गोपालपुरा, टोंक रोड, जेएलएन मार्ग का कुछ हिस्सा, एमडी रोड, कालवाड़ रोड, बैनाड़ रोड, निवारू रोड, हवासड़क सहित अन्य सड़कें शामिल है. 

हालांकि अब जेडीए शहर में पांच स्थानों पर ड्रेनेज सिस्टम तैयार करने में जुटा है, लेकिन इसे तैयार होने में तो अभी वक्त लगेगा. जयपुर के आम जन से लेकर जनप्रतिनिधियों का कहना है कि शहर जिस तरीके से विस्तार लेता जा रहा हैं. उस अनुरूप शहर में ड्रेनेज जैसे सिस्टम को समय रहते विकसित नहीं किए जाने पर आने वाले दिनों में समस्याएं बढ सकती हैं. नालों की सफाई में लापरवाही के आरोप भी लगाए जा रहे हैं तो साथ ही वार्डो में पार्षदों द्वारा स्त्यापन नहीं करने पर भी नाराजगी जताई जा रही है.दोनों निगमों ने पिछले साल करोड़ो रुपयों में नालों की सफाई का काम पूरा किया था. बावजूद इसके सड़कों पर जगह-जगह बारिश का पानी भर आया था. इस बार समय से पहले नालों की पूरी तरह सफाई के दावे जोर-शोर से किए जा रहे है देखना यही होगा कि मॉनसून की पहली बारिश आम जनता के लिए राहत देती है या फिर आफत.