जयपुर: राजस्थान की पांच प्रमुख बाघ परियोजनाओं-सरिस्का, रणथंभौर, मुकुंदरा हिल्स, रामगढ़ विषधारी और धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व-में बसे गांवों के विस्थापन और पुनर्वास को लेकर राज्य स्तरीय मॉनिटरिंग कमेटी (SLMC) की 9वीं बैठक 5 मई को सचिवालय में आयोजित की जाएगी. बैठक शाम 4 बजे प्रारंभ होगी, जिसमें 15 स्थायी सदस्य, 4 विशेष आमंत्रित सदस्य, 11 जिलों के कलेक्टर (वीसी के माध्यम से) और संबंधित टाइगर रिजर्वों के उपवन संरक्षक भाग लेंगे. प्रमुख वन्यजीव प्रतिपालक व सदस्य सचिव शिखा मेहरा बैठक की अध्यक्षता करेंगी.
मुआवजा पैकेज:
विस्थापित परिवारों को दो विकल्पों में से एक चुनने का अवसर मिलेगा:
कैश पैकेज: प्रत्येक परिवार को ₹15 लाख का मुआवजा, जिसमें 18 वर्ष से ऊपर के प्रत्येक सदस्य को ₹15 लाख मिलेगा.
भूमि पैकेज: भूमि के बदले भूमि का विकल्प, जिसमें 6 बीघा कृषि भूमि, 60x90 वर्ग फुट का प्लॉट और कृषि के लिए विद्युत कनेक्शन शामिल हैं.
विस्थापन के लाभ:
वन्यजीवों के लिए सुरक्षित आवास: विस्थापन से बाघों और अन्य वन्यजीवों के लिए सुरक्षित आवास क्षेत्र विकसित होगा.
मानव-बाघ संघर्ष में कमी: गांवों के विस्थापन से मानव-बाघ संघर्ष की घटनाओं में कमी आएगी.
पर्यटन और रोजगार के अवसर: विस्थापन से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे.
फर्स्ट इंडिया न्यूज़ लंबे समय से इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाता रहा है. बाघों की बढ़ती संख्या और उनके प्राकृतिक रहवास की रक्षा के साथ-साथ मानव-बाघ संघर्ष को रोकने के लिए गांवों का सुनियोजित विस्थापन अब समय की मांग बन चुका है. वर्तमान में इन पांच टाइगर रिजर्व में करीब 111 गांवों के 15,000 से अधिक परिवार रहते हैं, जो बाघों के सुरक्षित विचरण क्षेत्र (Critical Tiger Habitat - CTH) में आते हैं.
बैठक के प्रमुख एजेंडे:
पूर्व बैठक की कार्रवाई रिपोर्ट:
6 फरवरी 2025 को आयोजित पिछली SLMC बैठक में लिए गए निर्णयों पर अब तक की गई कार्रवाई की समीक्षा की जाएगी.
पुनर्वास नीति व संशोधन पर चर्चा:
वर्ष 2002 की पुनर्वास नीति और 7 सितंबर 2022 को जारी संशोधित पैकेज की समीक्षा की जाएगी. साथ ही वर्तमान परिस्थितियों में एक नए और अधिक व्यवहारिक पैकेज की आवश्यकता पर चर्चा होगी.
भूमि मुआवजे पर पारदर्शी फार्मूला:
रणथंभौर टाइगर रिजर्व में मोर डूंगरी गांव जैसे उदाहरणों में, ग्रामीणों को उचित मुआवजा नहीं मिलने के चलते पुनर्वास प्रक्रिया रुकी हुई है. इसी प्रकार मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से संबंधित सात मामलों में हाईकोर्ट ने 2017 में स्पष्ट आदेश दिया था कि विस्थापित परिवारों को भूमि के बदले उचित प्रतिकर, पारदर्शिता और *DLC दर का 1.5 गुना* मुआवजा दिया जाए. वर्तमान प्रस्ताव है कि सभी टाइगर रिजर्वों में CTH में मौजूद निजी भूमि के लिए *DLC दर का 3 गुना* मुआवजा दिया जाए, जिससे विस्थापित परिवारों को आर्थिक रूप से संतोषजनक विकल्प मिल सके और भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को बल मिले.
सर्वेक्षण की कट-ऑफ तिथि में लचीलापन:
वर्ष 2008, 2009 व 2011 के सर्वेक्षणों के दौरान कई बच्चे नाबालिग थे, जो अब वयस्क हो चुके हैं. ऐसे युवा अब नए परिवारों के रूप में पात्र हैं लेकिन पुराने सर्वेक्षणों की वजह से पुनर्वास सूची में शामिल नहीं हो पा रहे हैं. प्रस्ताव है कि *जिला पुनर्वास समिति* को अधिकार मिले कि वह ऐसे वयस्क हो चुके पात्र सदस्यों को परिवार की नई इकाई मानते हुए पुनर्वास पैकेज दे सके. लिए एक नजर डालते हैं पांचो टाइगर रिजर्व की विशिष्ट स्थिति पर:
- सरिस्का टाइगर रिजर्व (अलवर): यहां बाघों की संख्या में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, लेकिन रिजर्व के भीतर बसे गांव अक्सर बाघों की गतिविधियों में बाधा बनते हैं
- रणथंभौर टाइगर रिजर्व (सवाई माधोपुर): देश के प्रमुख टाइगर टूरिज्म स्थलों में से एक. यहां मानव-बाघ टकराव की कई घटनाएं हो चुकी हैं. गांव मोर डूंगरी इसकी प्रमुख मिसाल है, जहां उचित मुआवजा न मिलने के कारण ग्रामीण भूमि देने को तैयार नहीं हैं.
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (कोटा, झालावाड़): यहां बाघ पुनर्स्थापना परियोजना के तहत लाए गए बाघों के लिए शांत वातावरण जरूरी है, लेकिन विस्थापन की धीमी प्रक्रिया एक बड़ी बाधा है.
- रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व (बूंदी): हाल ही में घोषित यह टाइगर रिजर्व बाघों के लिए नया घर बन रहा है, लेकिन यहां भी मानव बस्तियां सीटीएच क्षेत्र में मौजूद हैं.
- धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व (प्रस्तावित): यह नया टाइगर रिजर्व है और अभी से इस क्षेत्र में विस्थापन नीति पर स्पष्ट दिशा निर्देश होना आवश्यक है ताकि बाद में टकराव की स्थिति न बने.
यह बैठक बाघ संरक्षण की दिशा में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है. यदि पारदर्शी मुआवजा नीति और व्यवहारिक पुनर्वास पैकेज पर सहमति बनती है, तो यह सिर्फ बाघों को ही नहीं, बल्कि हजारों ग्रामीण परिवारों को भी एक नई और सुरक्षित जिंदगी देने का मार्ग प्रशस्त करेगा. मानव-बाघ सहअस्तित्व की दिशा में यह एक ठोस और जरूरी कदम माना जा रहा है. राजस्थान के बाघ अभयारण्यों में गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया वन्यजीव संरक्षण और मानव कल्याण दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. सरकार द्वारा प्रदान किए जा रहे मुआवजा पैकेज और पुनर्वास सुविधाएं विस्थापित परिवारों के लिए बेहतर जीवन की दिशा में एक कदम हैं. यह प्रक्रिया धीरे-धीरे और संवेदनशीलता के साथ पूरी की जा रही है, ताकि सभी पक्षों के हितों का संतुलन बना रहे.