नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) ने आज हॉटलाइन पर विचार-विमर्श किया. यह वार्ता सीमाओं पर शांतिपूर्वक स्थिति बनाए रखने को लेकर हुई. भारत-पाक के बीच बातचीत के दौरान दोनों देशों ने नियंत्रण रेखा (LOC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) पर सीजफायर समझौतों के पालन को सुनिश्चित करने पर जोर दिया. यह वार्ता भारत की तरफ से राजीव घई और पाकिस्तान की तरफ से काशिफ अब्दुल्लाह के नेतृत्व में आयोजित की गई. बातचीत में भारत ने साफ संदेश दिया कि वह सीमा पर किसी भी प्रकार के उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं करेगा. दूसरी ओर, पाकिस्तान ने भरोसा दिया कि वह सीजफायर का हर हाल में पालन करेगा. यह बैठक कई महीनों में पहली बार हुई, जब दोनों देश शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए विचार-विमर्श करते नजर आए.
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-पाक DGMO की इस पहल से दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास बढ़ सकता है. सीमा पर कई बार होने वाली गोलीबारी और जान-माल की हानि को रोकने के लिए यह वार्ता एक अहम कदम है. हालांकि, इससे पहले भी दोनों देशों के बीच ऐसे प्रयास हुए हैं, लेकिन इस बार उम्मीद की जा रही है कि दोनों पक्ष वाकई में शांति बनाए रखेंगे.
हॉटलाइन वार्ता का महत्व:
इस वार्ता की खास बात यह रही कि यह सीजफायर के बाद पहली बार हुई है. दोनों देशों के DGMO ने सीमा की स्थिति पर गहराई से चर्चा की और भविष्य में शांति बनाए रखने का भरोसा जताया. यह वार्ता दीर्घकालिक समाधान की दिशा में एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण कदम है.
सीमाओं पर बढ़ सकती है स्थिरता:
विशेषज्ञ मानते हैं कि DGMO चर्चा से सीमा पर शांति और स्थिरता का माहौल बनेगा. हर साल सीमा पर गोलीबारी के कारण हजारों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. अगर सीजफायर की पालना की गई तो यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा. सीमावर्ती गांवों के निवासियों को इस वार्ता से काफी उम्मीदें हैं. उनका मानना है कि यदि दोनों देश शांति समझौते का पालन करते हैं, तो उनके जीवन में अब स्थिरता आएगी.