VIDEO: राजस्थान के शहरों में लागू किए गए नए भवन विनियम, मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने की लॉन्चिंग, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: प्रदेश में नए भवन विनियम 2025 लागू कर दिए गए हैं. नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने जेडीए में आयोजित कार्यक्रम में इनकी लांचिंग की. नए भवन विनियमों में कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं. क्या है ये प्रावधान और आमजन को इनसे क्या मिलेगा लाभ? 

प्रदेश के शहरों में पिछली कांग्रेस सरकार के समय वर्ष 2020 में नए भवन विनियम लागू किए गए थे. उसी सरकार में इसमें बाद में कई संशोधन किए गए हैं. प्रदेश में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद नए सिरे से भवन विनियमों को लागू करने की तैयारी शुरू कर दी गई. भवन विनियमों का प्रारूप जारी कर आमजन से इस पर आपत्ति व सुझाव मांगे गए. इसके बाद क्रेडाई राजस्थान के प्रतिनिधियों से भी इस प्रारूप पर सुझाव लिए गए. तमाम आपत्ति व सुझावों के निस्तारण के बाद नए भवन विनियम फाइनल किए गए. नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने जेडीए में आयोजित कार्यक्रम में इन्हें लांच किया. आपको सबसे पहले बताते हैं कि इन भवन विनियमों में कम चौड़ी सड़कों और छोटे भूखंडों पर विभिन्न गतिविधियां कम करने और भूमि का अधिकतम उपयोग करने को लेकर क्या प्रावधान किए गए हैं.

- 500 वर्ग मीटर से अधिक और 750 वर्ग मीटर तक के आकार के भूखंडों पर बनने वाली बहु निवास इकाइयों की संख्या निर्धारित की गई है
-ऐसे भूखंडों पर अधिकतम 8 आवासीय इकाईयां की बन सकेंगी
-पूर्व में लागू भवन विनियमों में अधिकतम संख्या निर्धारित नहीं थी
-भवनों में प्लिंथ की अधिकतम ऊंचाई 1.2 मीटर रखी गई है, पहले अधिकतम ऊंचाई का प्रावधान नहीं था
-15 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली इमारतें बहुमंजिला इमारतें कहलाएंगी
-जबकि इससे पहले एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में 18 मीटर से ऊंची इमारत और
-एक लाख से कम आबादी वाले शहरों में 15 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली इमारतों को बहुमंजिला इमारतों की परिभाषा में शामिल किया जाता था
-बहु मंजिला इमारत में अधिकतम सेटबैक 16 मीटर रहेगा
-पहले इमारत की ऊंचाई के एक चौथाई के बराबर सेटबैक छोड़ना पड़ता था 
 -पहले 10 हजार वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल के व्यावसायिक भूखंडों पर 50% तक कवरेज एरिया अनुज्ञेय था
-लेकिन अब ढाई हजार वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल के भूखंडों पर 50% कवरेज एरिया की स्वीकृति दी जा सकेगी
-बहु आवासीय इकाइयों, फ्लैट्स और ग्रुप हाउसिंग के भवनों में छत का अधिकतम 25% भाग ही निजी टेरेस के रूप में उपयोग किया जा सकेगा
-इससे पहले इस बारे में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था
-अब न्यूनतम 750 वर्गमीटर के बजाए न्यूनतम 1000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाले भूखंड पर ही बहुमंजिला इमारत बन सकेगी
-बहुमंजिला वाणिज्यक इमारतों के निर्माण के लिए अब न्यूनतम सड़क की चौड़ाई 60 फीट के बजाए 80 फीट होगी

शहरों में छोटे भूखंडों और कम चौड़ी सड़कों पर संचालित रूफ टॉप रेस्टोरेंट्स, विवाह स्थल व हॉस्टल से होने वाली समस्याओं के निराकरण के भी प्रावधान इन नए भवन विनियमों में किए गए हैं. 

-बड़े शहरों में न्यूनतम 80 फीट चौड़ी सड़क पर न्यूनतम 1 हजार वर्गमीटर भूखंड पर बने व्यावसायिक भवन व होटल भवनों में ही रूफटॉप रेस्टोरेंट की स्वीकृति दी जा सकेगी
-छोटे शहरों में न्यूनतम 60 फीट चौड़ी सड़क पर न्यूनतम 1 हजार वर्गमीटर भूखंड पर बने व्यावसायिक भवन व होटल भवनों में ही रूफटॉप रेस्टोरेंट की स्वीकृति दी जा सकेगी 
-इमारतों की छत के अधिकतम 75 प्रतिशत भाग पर ही रूफटॉप रेस्टॉरेंट संचालित किए जा सकेंगे
-इससे पहले रूफटॉप रेस्टोरेंट को लेकर ऐसे कोई प्रावधान लागू नहीं थे
-बहु आवासीय इकाइयों, फ्लैट्स और ग्रुप हाउसिंग के भवनों में छत का अधिकतम 25% भाग ही निजी टेरेस के रूप में उपयोग किया जा सकेगा
-इससे पहले इस बारे में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था
 -न्यूनतम 1000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाले भूखंड पर ही बहुमंजिला इमारत बन सकेगी पहले यह मापदंड 750 वर्ग मीटर आकार के भूखंडों के लिए था
 -न्यूनतम 40 फीट सड़क पर स्थित 500 वर्ग मीटर या इससे बड़े भूखंडों पर ही बड़े शहरों में हॉस्टल निर्मित किए जा सकेंगे
-जबकि लघु एवं मध्यम शहरों में न्यूनतम 30 फीट चौड़ी सड़क पर 300 वर्ग मीटर और इससे बड़े भूखंडों पर हॉस्टल बन सकेंगे
-इससे पहले  हॉस्टल को लेकर कोई ऐसा प्रावधान लागू नहीं था
-बड़े शहरों में न्यूनतम 24 मीटर सड़कों पर 5000 वर्ग मीटर व इससे बड़े भूखंडों पर विवाह स्थल संचालित किए जा सकेंगे
-छोटे शहरों में इतने ही आकर के भूखंड जो की 18 मीटर चौड़ी सड़क पर होंगे उनमें ही विवाह स्थल संचालित किया जा सकेंगे
-इससे पहले 2000 वर्ग मीटर व इससे बड़े भूखंडों पर विवाह स्थल संचालित किया जा सकता था
-लेकिन सड़क की चौड़ाई को लेकर कोई बाध्यता नहीं थी 
 -अग्निशमन वाहनों के लिए इमारत में 6 मीटर चौड़ा गलियारा रखना होगा पहले यह मापदंड 3.6 मीटर ही था
 -स्टूडियो, अपार्टमेंट, दुकानें, व्यावसायिक परिसर, रूफटॉप रेस्टोरेंट, गेस्ट हाउस, चिकित्सा संस्थान,
-कोचिंग सेंटर आदि में न्यूनतम पार्किंग की 50% पार्किंग विजिटर्स के लिए रखनी होगी   
-अब इमारत के आशिक पूर्णता प्रमाण पत्र और आशिक अधिवास प्रमाण पत्र दिए जा सकेंगे, पहले ऐसा कोई प्रावधान नहीं था
 -बेटरमेंट लवी की पूरी राशि जमा कराने तक अतिरिक्त निर्मित क्षेत्र (BAR)के न्यूनतम 15% क्षेत्रफल के बराबर की इकाइयां बिल्डर को रहन रखनी होगी
-पूरी राशि जमा कराने के बाद संबंधित निकाय इन इकाईयों को रहन से मुक्त कर देंगे

पुराने भवन विनियमों के अनुसार ग्रुप हाउसिंग में कुल भूखंड का 15 प्रतिशत क्षेत्र हरित क्षेत्र रखना जरूरी था. इसी तरह फ्लैट्स की योजनाओं में कुल भूखंड का 10 प्रतिशत क्षेत्र हरित क्षेत्र रखना जरूरी था. ग्रीन बिल्डिंग्स बनाने और उसका प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने पर निकाय ऐसे प्रकरणों में नि:शुल्क अतिरिक्त बिल्ड एरिया रेश्यो (BAR) उपलब्ध कराया जाता था. लेकिन ग्रीन बिल्डिंग्स के निर्माण को लेकर मौजूदा भवन विनियमों में कोई बाध्यता नहीं थी. लेकिन नए भवन विनियमों में प्रदेश के रियल एस्टेट सेक्टर को इको फ्रेंडली बनाने के उद्देश्य से ग्रीन बिल्डिंग्स के निर्माण को प्रोत्साहन देने और इमारतों में हरित क्षेत्र बढ़ाने को लेकर कई प्रावधान किए गए हैं.

-व्यावसायिक को छोड़कर 750 वर्गमीटर से बड़े सभी भू उपयोग के भूखंडों के लिए हरित क्षेत्र रखना नए बायलॉज में अनिवार्य किया गया है
-नए बिल्डिंग बायलॉज के प्रावधानों के अनुसार इस तरह हरित क्षेत्र रखना जरूरी होगा
-750 से बड़े और 5000 वर्गमीटर तक के भूखंडों, जिन पर 3 BARतक निर्माण किया जाना है, उनमें भूखंड के कुल क्षेत्रफल का 10% हरित क्षेत्र रखना होगा
-750 से बड़े और 5000 वर्गमीटर तक के भूखंडों, जिन पर 4 BARतक निर्माण किया जाना है, उनमें भूखंड के कुल क्षेत्रफल का 12% हरित क्षेत्र रखना होगा
-750 से बड़े और 5000 वर्गमीटर तक के भूखंडों, जिन पर 4 BAR से अधिक निर्माण किया जाना है, उनमें भूखंड के कुल क्षेत्रफल का 15% हरित क्षेत्र रखना होगा
-5000 वर्गमीटर से बड़े भूखंडों, जिन पर 3 BARतक  निर्माण किया जाना है, उनमें भूखंड के कुल क्षेत्रफल का 15% हरित क्षेत्र रखना होगा
-5000 वर्गमीटर से बड़े भूखंडों, जिन पर 4 BARतक  निर्माण किया जाना है, उनमें भूखंड के कुल क्षेत्रफल का 18% हरित क्षेत्र रखना होगा
-5000 वर्गमीटर से बड़े भूखंडों, जिन पर 4 BARसे अधिक  निर्माण किया जाना है, उनमें भूखंड के कुल क्षेत्रफल का 20% हरित क्षेत्र रखना होगा
-10 हजार वर्गमीटर से बड़े भूखंडों पर अनिवार्य तौर पर ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण करना अनिवार्य होगा
-ऐसे भूखंडों पर बनी ग्रीन बिल्डिंग का कम से कम सिल्वर या उसके समतुल्य श्रेणी का प्रमाण पत्र बिल्डर को संबंधित निकाय में उपलब्ध कराना होगा
-इसके बाद ही निकाय उस बिल्डिंग का पूर्णता प्रमाण पत्र व अधिवास प्रमाण पत्र जारी करेंगे
-सिल्वर या उसके समतुल्य श्रेणी का प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने पर इमारत को देय BAR का अतिरिक्त 4% BAR निशुल्क दिया जाएगा
-गोल्ड या उसके समतुल्य श्रेणी का प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने पर इमारत को देय BAR का अतिरिक्त 7% BAR निशुल्क दिया जाएगा
-प्लेटिनम या उसके समतुल्य श्रेणी का प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने पर इमारत को देय BAR का अतिरिक्त 10% BAR निशुल्क दिया जाएगा
-नए बिल्डिंग बायलॉज के प्रावधान के अनुसार अतिरिक्त BAR की  राशि बिल्डर को भवन मानचित्र जारी करने से पहले निकाय में जमा करानी होगी
-तय मापदंडों के अनुसार ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण करने के बाद यह जमा राशि निकाय बिल्डर को वापस लौटा देगा