VIDEO: डेढ़ साल के भीतर SMS अस्पताल में लापरवाही की हेट्रिक ! गर्भवती महिला की गलत ग्रुप का खून चढ़ाने के बाद मौत, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: राजस्थान के सबसे प्रतिष्ठित सवाई मानसिंह हॉस्पिटल में गलत ब्लड चढ़ने के बाद एक गर्भवती महिला की मौत ने पूरे सिस्टम को सवालों के घेरे में ला दिया है.घटना तीन दिन पहली की है, जिससे अस्पताल प्रशासन दबाने में जुटा था.लेकिन फर्स्ट इंडिया पर खबर चलने के बाद प्रशासन ने आनन-फानन में खुद के बचाव के लिए पूरे मामले की जांच के लिए हाईलेवल कमेटी गठित की है.आखिर क्या है पूरा मामला और अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही. टोंक के निवाई की रहने वाली 23 साल की महिला को 12 मई को एसएमएस की इमरजेंसी से भर्ती करवाया गया था. महिला के टीबी और प्रेग्नेंसी से जुड़ी समस्या थी, जिसके चलते यूनिट-7 में भर्ती ऑक्सीजन सपोर्ट पर इलाज शुरू किया गया, लेकिन हालत ज्यादा बिगड़ने पर महिला को वेंटिलेटर सपोर्ट पर लिया गया.

डॉक्टरों के मुताबिक महिला 5 माह की गर्भवती थी. उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की हार्ट रेट नहीं आ रही थी. इसको देखते हुए गायनी डिपार्टमेंट की डॉक्टरों को बुलाकर 19 मई को वेंटिलेटर पर ही महिला की डिलीवरी करवाई गई. डिलीवरी के तुरंत बाद ही महिला का हीमोग्लोबिन नीचे आया तो उसे लापरवाही के चलते दूसरे ग्रुप का ब्लड चढ़ाया गया.हालांकि, कुछ देर में ही मामला पकड़ में आया तो प्रक्रिया को रोका गया.लेकिन इसके बाद महिला को बचाया नहीं जा सका.इस पूरे मामले में डॉक्टरों का कहना है कि महिला की प्रेग्नेंसी के पहले से ही स्थिति बहुत क्रिटिकल हो चुकी थी. टीबी के कारण फेंफड़ों ने भी काम करना कम कर दिया था. डॉक्टरों के मुताबिक महिला की ये दूसरी डिलीवरी थी.

डेढ़ साल के भीतर लापरवाही की हेट्रिक !: 
केस नंबर -1 : फरवरी, 2024 को सड़क हादसे में घायल 23 वर्षीय सचिन शर्मा को SMS अस्पताल में सर्जरी के दौरान गलत खून चढ़ाए गया था, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई थी. 23 फरवरी को उसकी मौत हो गई. इस मामले में IPC की धारा 304ए के तहत FIR दर्ज की गई. सरकार ने एक नर्सिंग अधिकारी को निलंबित कर दिया और तीन डॉक्टरों को एपीओ रखा था.

केस नंबर- 2: दिसंबर 2024 में जेके लोन अस्पताल के कर्मचारियों ने 10 वर्षीय बच्चे को गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ा दिया। उसका ब्लड ग्रुप O+ था, लेकिन उसे पहले AB+ और फिर O+ ब्लड चढ़ाया गया। हालांकि, चिकित्सकों के मुताबिक गलत खून चढ़ने से बच्चे में कोई रियेक्शन नहीं देखा गया.लेकिन इस लापरवाही पर अस्पताल के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.

केस नंबर- 3: टोंक के निवाई की रहने वाली 23 साल की महिला की SMS अस्पताल में 19 मई को वेंटिलेटर पर ही डिलीवरी करवाई गई.सूत्रों के मुताबिक डॉक्टरों ने मरीज के परिजन को ब्लड के लिए जो पर्ची दी थी. उसमें एचआईडी नंबर, मरीज का नाम लिखा था, लेकिन ब्लड ग्रुप की जानकारी नहीं लिखी थी. ब्लड बैंक से बिना सैंपल की जांच किए और ग्रुप को जांचें A+ ब्लड दे दिया.जैसे ही महिला को ब्लड चढ़ाया. तो एक से दो मिनट बाद ही महिला का शरीर कांपने लगा। ऐसे में चिकित्सकों ने ब्लड की सप्लाई रोक दी. फिर वापस ब्लड सैंपल लेकर भेजा तो पता चला कि महिला का ब्लड ग्रुप B+ है.इसके बाद महिला की तबीयत लगातार बिगड़ती गई और आखिरकार उसने दम तोड़ दिया.

इस पूरे मामले में अस्पताल अधीक्षक डॉ सुशील भाटी ने स्वीकारा कि लापरवाही तो हुई है.लेकिन साथ ही ये कहकर बचाव भी किया कि महिला की हालत काफी खराब थी.दो बार सीपीआर दिया जा चुका था.ऐसे में ये कहना गलत होगा कि दूसरे ग्रुप के ब्लड चढ़ाने से मौत हुई है.महिला को तो दो-तीन मिनट में ही तबीयत बिगड़ने पर ब्लड चढ़ाना बन्द कर दिया था.डॉ भाटी ने कहा कि इस पूरे मामले में जांच कमेटी का गठन किया गया है.कमेटी की रिपोर्ट में जिसकी भी लापरवाही सामने आएगी, हम एक्शन लेंगे.