जयपुर: राजस्थान की बीजेपी ने अगले विधानसभा चुनाव की अभी से तैयारी शुरू कर रखी है. टारगेट है सालों पुराने मिथक को तोड़ते हुए बीजेपी सरकार को रीपीट करना है. मदन राठौड़ की अगुवाई में जल्द ही रणनीतिक बैठकें शुरू होगी. प्रत्येक विधानसभा स्तर पर अलग रणनीति बनेगी.
बीजेपी के स्थापना दिवस पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने ऐलान कर दिया है कि सभी को राजस्थान में हर पांच साल बाद सरकार बदलने के मिथक को तोड़ते हुए फिर से भाजपा की सरकार बनानी है, इस दिशा में धरातल पर कार्य करना है. मदन राठौड़ के इस बयान के सियासी अर्थ है इसके पीछे कारण है राजस्थान में एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस की सरकार बनने का सिलसिला 1993 के बाद से लगातार चला आ रहा है. इससे पहले, मुख्य रूप से कांग्रेस का ही दबदबा रहा था.
साल 1993-- बीजेपी की भैरों सिंह शेखावत सरकार हालांकि इस बार बीजेपी लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में सफल रही, लेकिन इसके बाद से यह ट्रेंड शुरू हो गया
साल 1998 में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार बनी
साल 2003 बीजेपी की वसुंधरा राजे सरकार का निर्माण
2008 में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार
2013 में बीजेपी की वसुंधरा राजे सरकार का निर्माण
2018 में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार का निर्माण
2023 में बीजेपी की भजन लाल शर्मा सरकार
पिछले लगभग तीन दशकों से राजस्थान में यह राजनीतिक परिदृश्य बना हुआ है और हर विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन देखने को मिलता है और मतदाता बारी-बारी से कांग्रेस और बीजेपी को मौका देते हैं. बीजेपी इस बार इस मिथक को तोड़ना चाहती है. लेकिन रिपीट होने के लिए बीजेपी का गुप्त एजेंडा आखिर क्या है.
-- बीजेपी का सत्ता वापसी का एजेंडा --
-जनता से सीधा संवाद लोगों की समस्याओं को सुनना और उनका समाधान करना
- निरन्तर जनप्रतिनिधियों और मंत्रियों की जनसुनवाई
-विकास कार्यों पर जोर खासतौर पानी ,बिजली
- PKC प्रोजेक्ट को भुनाना और 24घंटे बिजली
-राज्य में बुनियादी ढांचे और अन्य विकास परियोजनाओं को तेजी से पूरा करना होगा
-सामाजिक सद्भाव बनाए रखना,गुजरात और MP में इसका लाभ बीजेपी को मिला है
- पार्टी संगठन और टिकट वितरण में युवाओं और महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देना होगा
- चुनावी रणनीति में बदलाव: पिछली हार से सबक लेते हुए नई और प्रभावी चुनावी रणनीतियां बनानी होंगी
--सकारात्मक कारक जो बीजेपी के पक्ष में जा सकते हैं--
- मोदी सरकार की लोकप्रियता फायदा दे सकती है
- पीएम मोदी की लोकप्रियता महत्वपूर्ण हो सकती है
- राजस्थान बीजेपी में संगठन की मजबूती
- वक्फ बिल और हिंदुत्व का एजेंडा
- यदि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस आंतरिक कलह या प्रभावी नेतृत्व की कमी से जूझता रहता है, तो बीजेपी को इसका फायदा मिल सकता है
- राज्य की बीजेपी सरकार अपनी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करती है और लोगों तक उनका लाभ पहुंचाती है, तो यह मतदाताओं का विश्वास जीतने में सहायक हो सकता है
- बीजेपी अपने पिछले चुनावी वादों को पूरा करती है, तो मतदाताओं में सकारात्मक संदेश जाएगा
-2023 के विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में किसानों, महिलाओं, युवाओं और गरीबों के लिए किए गए वादे महत्वपूर्ण होंगे
- स्थानीय नेतृत्व की भूमिका की मजबूती
कुल मिलाकर, राजस्थान में बीजेपी की दोबारा वापसी कई कारकों के संयोजन पर निर्भर करेगी. मजबूत संगठन, केंद्र सरकार का समर्थन, प्रभावी शासन और विपक्षी दलों की कमजोरियों का लाभ उठाकर बीजेपी सत्ता में वापसी कर सकती है..हालांकि, सत्ता विरोधी लहर और अन्य चुनौतियों का सामना करना भी पड़ेगा. संगठन का फैलता दायरा फायदेमंद है. लेकिन ऐन वक्त पर जातीय गणित का राजस्थान विधानसभा चुनाव में प्रवेश कई बार बड़ी चुनौती बन कर सामने आ जाता है. एक बार गुर्जर आरक्षण आन्दोलन के कारण बीजेपी सत्ता में वापसी नहीं कर पाई थी.