VIDEO: भ्रष्टाचार और लापरवाही को लेकर कार्रवाई में 10 जिले फिसड्डी, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दी चेतावनी, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर : भ्रष्टाचार और लापरवाही को लेकर कार्रवाई में भजनलाल सरकार ने जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाए हुए हैं,लेकिन राजधानी जयपुर सहित दस जिले इसमें फिसड्डी हैं. वहीं जैसलमेर जैसे सीमावर्ती व डूंगरपुर और ब्यावर जैसे छोटे जिले इसमें अग्रणी हैं. अब सीएम भजनलाल शर्मा ने पिछड़े जिलों को चेताते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई से जुड़े प्रकरणों का निपटारा 31 जुलाई तक सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. 

अनुशासनात्मक कार्रवाई के प्रकरण भजनलाल सरकार की टॉप प्रायोरिटी में है. समय-समय पर सीएम और सीएस ने इसे लेकर बैठकें लेकर और अलग निर्देशों से इसे लेकर सख्ती बरतने और पेंडेंसी कम करने के निर्देश दिए हैं,लेकिन इसके बाद भी जयपुर सहित दस पिछड़े जिले हैं जिसमें पूर्वी और पश्चिमी राजस्थान के जिले अधिक हैं. 

टॉप पिछड़े जिले

-करौली में 17 सीसीए के तहत 30 अप्रैल तक के लंबित प्रकरणों की संख्या पर गौर करें तो 
41 ऐसे प्रकरण हैं जो एक साल से कम समय से लंबित हैं
वहीं 1 से 5 वर्ष तक लंबित प्रकरणों की संख्या 76 हैं
5 साल से अधिक लंबित प्रकरणों की संख्या 2 है 
और 17 सीसीए के तहत लंबित प्रकरणों की संख्या 119 है
इसी तरह 16 सीसीए के 1 साल से कम लंबित और 1 से 5 साल तक लंबित प्रकरणों की संख्या 1-1 है
17 सीसीए व 16 सीसीए के लंबित प्रकरणों की संख्या 121 है. 

-सवाई माधोपुर में 17 सीसीए के 1 वर्ष से कम लंबित प्रकरण 15 और 1 से 5 वर्ष तक लंबित प्रकरण 13 हैं
इस तरह 17 सीसीए के कुल लंबित प्रकरण 28 हैं हालांकि 16 सीसीए के कुल लंबित प्रकरण 54 हैं
जिले में 1 साल से कम 5 व 1 से 5 साल तक पेंडिंग प्रकरण 19 हैं जबकि 5 वर्ष से ज्यादा लंबित प्रक्ररण 30 हैं
इस तरह 17सीसीए व 16 सीसीए मिलाकर कुल 82 प्रकरण पेंडिंग हैं.

-श्रीगंगानगर में 17 सीसीए के 1 साल से कम पेंडिंग प्रकरण 31 और 1 से 5 साल तक के पेंडिंग प्रकरण 9 हैं
वहीं  16 सीसीए के 1 वर्ष से कम पेंडिंग प्रकरण 3 व 1 स 5 वर्ष तक के पेंडिंग प्रकरण 33 हैं.
यहां दो प्रकरण ऐसे हैं जो 5 साल से अधिक पेंडिंग हैं 
इस तरह 16 सीसीए के पेंडिंग प्रकरण 38 और जिले के कुल पेंडिंग प्रकरण 78 हैं. 

-बीकानेर में 17 सीसीए के 1 वर्ष से कम 27 प्रकरण पेंडिंग हैं और 11 प्रकरण 1 से 5 साल तक लंबित हैं.
16 सीसीए में 1 वर्ष से कम 13 प्रकरण,1 से 5 साल तक के 21 प्रकरण पेंडिंग हैं. 
16 सीसीए के दो प्रकरण 5 साल से ज्यादा समय से लंबित हैं. 

-सीमावर्ती जिले बाड़मेर में 17 सीसीए के 1 वर्ष से कम के 26 प्रकरण, 1 से 5 साल के 28 प्रकरण लंबित हैं. 
17 सीसीए के तीन प्रकरण 5 साल से ज्यादा समय से पेंडिंग हैं और 17 सीसीए के पेंडिंग प्रकरण 57 हैं. 
यहां 16 सीसीए के कुल 4 प्रकरण ही पेंडिंग हैं जिनमें 3 एक वर्ष से कम समय से और 1 एक से 5 वर्ष तक पेंडिंग है.

-इन टॉप 5 फिसड्डी जिलों के बाद जयपुर का स्थान सातवां है जिसके 17 सीसीए के 1 से 5 साल तक के दस प्रकरण पेंडिंग हैं और 5 साल से ज्यादा पेंडिंग प्रकरणों की संख्या 3 है और इस तरह कुल 18 प्रकरण पेंडिंग हैं. 
जबकि जयपुर में 16 सीसीए के 31 कुल प्रकरण पेंडिंग हैं जसमें 1 से 5 वर्ष तक 17 प्रकरण पेंडिंग हैं. 
17 व 16 सीसीए के जयपुर में कुल पेंडिंग प्रकरण 49 हैं.
अच्छे प्रदर्शन वाले टॉप 5 जिलों की बात करें तो जैसलमेर और डूंगरपुर में 16 सीसीए का 1 वर्ष से कम समय से पेंडिंग 1 ही प्रकरण है और वह टॉप पर है. 

-राजसमंद के 17 सीसीए में 1 वर्ष से कम 2 और 16 सीसीए के 1 वर्ष से कम पेंडिंग प्रकरण 1 है. 

-झालावाड़ में 16 सीसीए का एक भी पेंडिंग प्रकरण नहीं है वहीं 17 सीसीए के 1 वर्ष से कम 5 प्रकरण पेंडिंग हैं. कुल मिलाकर जिले में कुल 6 प्रकरण पेंडिंग हैं.

-ब्यावर में 17 सीसीए के 1 वर्ष से कम 6 और 16 सीसीए के 1 वर्ष से कम 1 प्रकरण पेंडिंग है. कुल मिलाकर जिले में कुल 7 प्रकरण पेंडिंग है. 

फिसड्डी जिलों में पांच से नीचे पायदान वाले जिलों की बात करें तो अलवर का छठा,दौसा का आठवां,डीग का नौवां और नागौर का दसवां स्थान आता है.