जयपुरः प्रदेश के रियल एस्टेट सेक्टर को इको फ्रेंडली बनाने के लिहाज से लागू किए जाने वाले नए बिल्डिंग बायलॉज में कई प्रावधान किए गए हैं. इनसे ना केवल ग्रीन बिल्डिंग्स के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि हरियाली में भी बढ़ोतरी होगी.
प्रदेश के शहरों में नए बिल्डिंग बायलॉज लागू किए जाने की तैयारी है. नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा 12 मई को इन नए बिल्डिंग बायलॉज की लांचिंग करेंगे. प्रमुख सचिव नगरीय विकास वैभव गालरिया के निर्देशन में तैयार किए गए इन नए बिल्डिंग बायलॉज में ऐसे प्रावधान किए गए हैं ताकि प्रदेश के रियल एस्टेट सेक्टर को इको फ्रेंडली बनाया जाए. इन प्रावधानों को लागू किए जाने से प्रदेश के शहरों में ग्रीन बिल्डिंग्स के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही इमारतों में हरियाली में भी बढ़ोतरी होगी. आपको सबसे पहले बताते हैं कि वर्तमान में लागू बिल्डिंग बायलॉज में ग्रीन बिल्डिंग्स के निर्माण और इमारतों मे हरित क्षेत्र को लेकर क्या प्रावधान किए गए हैं और ग्रीन बिल्डिंग्स कहते किसे हैं?
-मौजूदा बिल्डिंग बायलॉज के अनुसार ग्रुप हाउसिंग में कुल भूखंड का 15 प्रतिशत क्षेत्र हरित क्षेत्र रखना जरूरी है
-इसी तरह फ्लैट्स की योजनाओं में कुल भूखंड का 10 प्रतिशत क्षेत्र हरित क्षेत्र रखना जरूरी है
-ग्रीन बिल्डिंग्स बनाने और उसका प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने पर निकाय ऐसे प्रकरणों में नि:शुल्क अतिरिक्त बिल्ड एरिया रेश्यो (BAR) उपलब्ध कराया जाता है
-लेकिन ग्रीन बिल्डिंग्स के निर्माण् को लेकर मौजूदा भवन विनियमों में कोई बाध्यता नहीं हैं
-ग्रीन बिल्डिंग से मतलब ऐसी इमारत से हैं जिसका निर्माण ऐसी तकनीक व डिजाइन से किया जाता है
-जिसके चलते इमारत को पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल बनाया जाता है
-ऐसी इमारत में प्राकृतिक रोशनी और नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोंतों का उपयोग करके ऊर्जा खपत को कम किया जाता है
-वर्षा जल संचयन और वेस्ट वाटर रिसाइकिल आदि तकनीक से पेयजल की बचत की जाती है
प्रदेश मे लागू किए जाने वाले नए बिल्डिंग बायलॉज में मौजूदा बिल्डिंग बायलॉज से अधिक प्रभावी प्रावधान किए गए हैं. एक निर्धारित आकार से बड़े भूखंडों पर ग्रीन बिल्डिंग निर्माण अनिवार्य किया गया है. हरित क्षेत्र का प्रावधान ग्रुप हाउसिंग व फ्लैट्स से संबंधित योजनाओं से बढ़ाकर अन्य योजनाओं पर भी लागू किया गया है. आपको बताते हैं कि नए बिल्डिंग बायलॉज इसको लेकर क्या प्रावधान किए गए हैं.
-व्यावसायिक को छोड़कर 750 वर्गमीटर से बड़े सभी भू उपयोग के भूखंडों के लिए हरित क्षेत्र रखना नए बायलॉज में अनिवार्य किया गया है
-नए बिल्डिंग बायलॉज के प्रावधानों के अनुसार इस तरह हरित क्षेत्र रखना जरूरी होगा
-750 से बड़े और 5000 वर्गमीटर तक के भूखंडों, जिन पर 3 BARतक निर्माण किया जाना है, उनमें भूखंड के कुल क्षेत्रफल का 10% हरित क्षेत्र रखना होगा
-750 से बड़े और 5000 वर्गमीटर तक के भूखंडों, जिन पर 4 BARतक निर्माण किया जाना है, उनमें भूखंड के कुल क्षेत्रफल का 12% हरित क्षेत्र रखना होगा
-750 से बड़े और 5000 वर्गमीटर तक के भूखंडों, जिन पर 4 BAR से अधिक निर्माण किया जाना है, उनमें भूखंड के कुल क्षेत्रफल का 15% हरित क्षेत्र रखना होगा
-5000 वर्गमीटर से बड़े भूखंडों, जिन पर 3 BARतक निर्माण किया जाना है, उनमें भूखंड के कुल क्षेत्रफल का 15% हरित क्षेत्र रखना होगा
-5000 वर्गमीटर से बड़े भूखंडों, जिन पर 4 BARतक निर्माण किया जाना है, उनमें भूखंड के कुल क्षेत्रफल का 18% हरित क्षेत्र रखना होगा
-5000 वर्गमीटर से बड़े भूखंडों, जिन पर 4 BARसे अधिक निर्माण किया जाना है, उनमें भूखंड के कुल क्षेत्रफल का 20% हरित क्षेत्र रखना होगा
-10 हजार वर्गमीटर से बड़े भूखंडों पर अनिवार्य तौर पर ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण करना अनिवार्य होगा
-ऐसे भूखंडों पर बनी ग्रीन बिल्डिंग का कम से कम सिल्वर या उसके समतुल्य श्रेणी का प्रमाण पत्र बिल्डर को संबंधित निकाय में उपलब्ध कराना होगा
-इसके बाद ही निकाय उस बिल्डिंग का पूर्णता प्रमाण पत्र व अधिवास प्रमाण पत्र जारी करेंगे
-सिल्वर या उसके समतुल्य श्रेणी का प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने पर इमारत को देय BAR का अतिरिक्त 4% BAR निशुल्क दिया जाएगा
-गोल्ड या उसके समतुल्य श्रेणी का प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने पर इमारत को देय BAR का अतिरिक्त 7% BAR निशुल्क दिया जाएगा
-प्लेटिनम या उसके समतुल्य श्रेणी का प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने पर इमारत को देय BAR का अतिरिक्त 10% BAR निशुल्क दिया जाएगा
-नए बिल्डिंग बायलॉज के प्रावधान के अनुसार अतिरिक्त BAR की राशि बिल्डर को भवन मानचित्र जारी करने से पहले निकाय में जमा करानी होगी
-तय मापदंडों के अनुसार ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण करने के बाद यह जमा राशि निकाय बिल्डर को वापस लौटा देगा.