नई दिल्लीः एक नई वैश्विक अध्ययन से पता चला है कि ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका की बर्फ शीट्स (चादरें) तेजी से पिघल रही हैं. यह प्रक्रिया समुद्र के जलस्तर में काफी वृद्धि कर सकती है, जिससे दुनिया के बड़े तटीय शहर डूबने के खतरे में आ सकते हैं. अध्ययन के अनुसार, बर्फ में करीब 213 फीट पानी छिपा हुआ है, जिसका तेजी से गलना पर्यावरण के लिए गंभीर समस्या बन सकता है.
विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया है कि बर्फ पिघलने की प्रक्रिया 1990 के बाद चार गुना तेज हो गई है. हर साल करीब 370 अरब टन बर्फ पिघल रही है. यदि यह प्रक्रिया इसी तरह जारी रहती है, तो समुद्र का बढ़ा हुआ स्तर तटीय इलाकों में रहने वाले करोड़ों लोगों को विस्थापित करने को मजबूर कर सकता है. दुनिया के प्रमुख शहर जैसे मुंबई, न्यूयॉर्क, लंदन और शंघाई पर सबसे ज्यादा खतरा मंडरा रहा है. जलवायु परिवर्तन के कारण यह समस्या और गंभीर होती जा रही है.
समुद्र के किनारे की संरचनाओं को किया जाना चाहिए मजबूतः
ग्लोबल वार्मिंग को कम किया गया तो इस खतरे को कम किया जा सकता है. साथ ही, समुद्र के किनारे की संरचनाओं को मजबूत किया जाना चाहिए ताकि आने वाली तबाही से बचा जा सके. यह समस्या केवल पर्यावरण का नहीं, बल्कि मानव अस्तित्व से जुड़ा बड़ा सवाल बनकर उभर रही है.
बर्फ कितनी पिघल रही है?
वैश्विक अध्ययन के अनुसार, प्रत्येक वर्ष करीब 370 अरब टन बर्फ ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में पिघल रही है. यह पिघलन गति में पिछले तीन दशकों में चार गुना वृद्धि दर्ज की गई है.
खतरों से बचने का उपाय क्या है?
जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग पर अंकुश लगाना इस संकट को कम करने के प्रमुख उपाय हैं. साथ ही, तटीय क्षेत्रों में सुरक्षा के लिए ठोस संरचनाएं बनाने की जरूरत है.