जयपुरः प्रदेश भर में आवासीय व व्यावसायिक भवनों में लीज वसूली में आ रही समस्याओं को दूर करते हुए राज्य सरकार ने प्रदेश भर के निकायों के लिए आमदनी का बड़ा रास्ता खोल दिया है. वहीं इसके चलते लंबे समय से अटके प्रकरणों के निस्तारण से प्रदेश भर के निकायों को करीब पांच सौ करोड़ रुपए की आय होने की भी उम्मीद है.
प्रदेश भर के शहरों में अलग-अलग इकाईयों वाले भवनों जैसे बहुमंजिला ग्रुप हाउसिंग इमारतें,मॉल, कमर्शियल कॉम्पलैक्स आदि की लीज की वसूली में लंबे समय से दिक्कत आ रही थी. जेडीए सहित विभिन्न प्राधिकरण,नगर सुधार न्यास,नगर निगम,नगर परिषद और नगर पालिका में लीज वसूली के कई प्रकरण लंबे समय से अटके हुए थे. लंबित प्रकरणों व आगामी प्रकरणों को लेकर नगरीय विकास विभाग और स्वायत्त शासन विभाग ने आदेश जारी कर लीज वसूली को लेकर आ रही समस्या का निदान कर दिया है. आपको सबसे पहले बताते हैं कि शहरों में निर्मित आवासीय व व्यावसायिक आदि भवनों की लीज वसूली में किस प्रकार की समस्या आ रही थी.
-शहरों में निर्मित कई भवनों में फ्लैट्स,दुकान,शोरूम,कार्यालय आदि का बिल्डर की ओर से बेचान कर दिया गया है
-जिस भूमि पर ये भवन निर्मित किए गए हैं, उस भूमि की एकमुश्त लीज राशि बिना जमा कराए ही विभिन्न इकाईयों का बिल्डर ने बेचान कर दिया है
-बेचान के बाद बिल्डर की ओर से खरीदारों को इकाईयों का कब्जा भी सुपुर्द कर दिया गया है
-कई मामलों में संबंधित निकाय की ओर से भवनों के ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट और कम्पलीशन सर्टिफिकेट भी जारी कर दिए गए हैं
-निकाय की ओर से ऐसे भवनों को लीज वसूली के नोटिस दिए गए हैं
-सभी इकाईयों का बेचान करने के चलते इस नोटिस को बिल्डर गंभीरता से नहीं लेते
-उधर भवन में दुकान,शोरूम या मकान खरीदने वाले लोगों की विकास समिति इसे बिल्डर का जिम्मा बताते हुए मामले से पल्ला झाड़ लेती है
-इसमें यह भी एक तकनीकी अड़चन रहती है कि भूमि का पट्टा तो बिल्डर के नाम ही रहता है
-एक अनुमान के मुताबिक अकेले जेडीए में ऐसे प्रकरणों में करीब दो सौ करोड़ रुपए की लीज राशि की वसूली अटकी हुई है
-सभी निकायों की बात करें तो ऐसे प्रकरणों में कुल मिलाकर करीब पांच सौ करोड़ रुपए की लीज राशि की वसूली अटकी हुई है
अलग-अलग इकाईयों के बेचान वाले भवनों की भूमि की लीज राशि वसूली में आ रही इस समस्या को नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने गंभीरता से लिया. प्रमुख सचिव वैभव गालरिया के स्तर पर काफी मंथन के बाद इस समस्या का समाधान निकाला गया. इस बारे में प्रमुख सचिव नगरीय विकास व स्वायत्त शासन वैभव गालरिया की ओर से जारी आदेश की पालना से ना केवल अब तक अटके प्रकरणों में बल्कि भविष्य में आने वाले प्रकरणों में भी लीज राशि की वसूली की जा सकेगी. आपको बताते हैं कि इन प्रकरणों में किस प्रकार लीज राशि की वसूली जा सकेगी.
-राज्य सरकार की ओर से जारी आदेश के मुताबिक ऐसे प्रकरणों जिनमें अनुमोदित भवन मानचित्र जारी किया जाना है
-उन प्रकरणों में पहले एकमुश्त लीज राशि प्राप्त की जाएगी अथवा भूमि का फ्री होल्ड पट्टा जारी किया जाएगा
-इसके बाद ही प्रकरण में अनुमोदित भवन मानचित्र जारी किए जाएगा
-इनमें से क्या जाना है यह बिल्डर की इच्छा पर निर्भर रहेगा
-इसी तरह ऐसे प्रकरण जिनमें भवन मानचित्र तो जारी किए जा चुके हैं
-लेकिन कम्पलीशन सर्टिफिकेट या ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया है
-तो ऐसे प्रकरणों में एकमुश्त लीज राशि की वसूली की जाएगी या फ्री होल्ड पट्टा जारी किया जाएगा
-इसके बाद ही कम्पलीशन सर्टिफिकेट या ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा
-ऐसे प्रकरण जिनमें ये दोनों सर्टिफिकेट जारी किए जा चुके हैं अथवा ये सर्टिफिकेट जारी किए बिना ही इकाईयों का बेचान कर उनका कब्जा सुपुर्द किया जा चुका है
-तो संबंधित बिल्डर को निकाय की ओर से आगामी छह महीने में भूखंड संबंधित विकास समिति को हस्तांतरित करने के लिए निर्देशित किया जाएगा
-भूखंड के हस्तांतरण के बाद लीज राशि विकास समिति से वसूली जाएगी
-अगर निर्धारित अवधि में बिल्डर भूखंड का हस्तांतरण नहीं करता है तो लीज राशि बिल्डर से ही वसूली जाएगी