जयपुरः राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (RUHS) का 10वां दीक्षांत समारोह बिडला ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने अलग-अलग कोर्स में पास आउट स्टूडेंटस को डिग्री और सर्टिफिकेट बांटे. इस दौरान राज्यपाल ने विवि प्रशासन की लेटलतीफी पर सवाल उठाते हुए कहा कि आगे से अभ्यर्थी जिस साल में परीक्षा पास करें, उन्हें उसी साल में दीक्षांत समारोह करके डिग्रियां बांटी जाए, ताकि डॉक्टर की पढ़ाई पास करने वाले स्टूडेंट्स को अपनी प्रेक्टिस करने के लिए इंतजार न करना पड़े.
बागडे ने अपने सम्बोधन में कहा कि चिकित्सकीय शिक्षा में इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाए कि विद्यार्थी की बौद्धिक क्षमता बढ़े. समाज को अच्छे और प्रतिभाशाली डॉक्टर मिले. उन्होंने चिकित्सा शिक्षा में मौलिक शोध और अनुसन्धान पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता जताई. उन्होंने कहा कि राजस्थान विश्वविद्यालय देश विदेश के दूसरे विश्वविद्यालयों से कॉलोबोरेशन कर इस क्षेत्र के नए ज्ञान के आदान प्रदान का संवाहक बने. राज्यपाल ने कहा कि प्राचीन काल में विश्व में केवल छह यूनिवर्सिटी थी तब भी भारत में दो विश्वविद्यालय थे. यहां पर विश्वभर के छात्र छात्राएं पढ़ने आते थे. उन्होंने भारत द्वारा संसार को जीरो के ज्ञान को दिए जाने की चर्चा करते हुए कहा कि इसी से आगे की संख्या से विश्व जुड़ सका. उन्होंने भास्कराचार्य द्वारा गुरुत्वाकर्षण ज्ञान और आर्यभट्ट के संख्या ज्ञान के आलोक में भारत की प्राचीन शिक्षा से आधुनिक ज्ञान को दिशा दिए जाने का आह्वान किया. कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल उस समय थोड़े नाराज दिखे जब डिग्री और प्रमाण पत्र लेकर कई डॉक्टर्स और स्टूडेंट बीच में ही कार्यक्रम छोड़कर जाने लगे. राज्यपाल ने उन पर नाराजगी जताई और मंच से माइक पर कार्यक्रम छोड़कर जा रहे डॉक्टर्स को टोका और पूछा कि क्या आपको कोई जरूरी काम है, जो यहां से जा रहे हो? कार्यक्रम के दौरान कुलगुरु प्रो. (डॉ.) प्रमोद येवले ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया.
राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विवि का 10वां दीक्षांत समारोह
राज्यपाल ने नालन्दा विश्वविद्यालय का जिक्र करते हुए कहा-
'ये विश्व का महानतम विश्वविद्यालय था,उसका पुस्तकालय भी बहुत बड़ा '
'नालंदा शब्द ना, आलम और दा शब्दों से मिलकर बना है'
'इसका मतलब होता है-ऐसा उपहार, जिसकी कोई सीमा नहीं'
'यह दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय था'
'जहां पर एक ही परिसर में शिक्षक और छात्र रहते थे'
'तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने इस विश्वविद्यालय के पुस्तकालय को जला दिया'
'इसके पीछे का कारण ये था कि एक बार खिलजी बहुत अधिक बीमार था'
'उसे बताया गया कि विवि के आयर्वेदाचार्य यदि इलाज करेंगे तो वह स्वस्थ हो जाएगा'
'आयुर्वेदाचार्य ने खिलजी को कुछ आयुर्वेदिक दवाएं दी'
'परन्तु उसने दवाओं को खाने से इनकार कर दिया'
'वैद्यजी ने तब उसकी आदतों के बारे में पूछा तो पता चला कि वह रोज कुरान पढ़ता है'
'थूक लगाकर उसके पन्ने पलटता है'
'...तो आयुर्वेदाचार्य ने कुरान के पन्नों पर आयुर्वेद दवा का लेप कर दिया'
'कुछ दिनों में खिलजी ठीक हो गया'
'जब उसे पता चला कि भारत का यह महान ज्ञान नालन्दा की देन है'
'तो उसने उसके पुस्तकालय को जलवा दिया ताकि यह ज्ञान सदा के लिए समाप्त हो जाए'
'अब हमारे PM मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से शिक्षा, ज्ञान और '
'सांस्कृतिक चेतना का वैश्विक केंद्र बनाने की पहल की है'
राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विवि का 10वां दीक्षांत समारोह
दंत संकाय में वर्ष 2023 से पूर्व और 2023 में MDS-BDS की 1406 अभ्यर्थियों को उपाधि प्रदान की
फार्मेसी संकाय में वर्ष 2023 से पूर्व और 2023 में एम फार्म, बी फार्म सहित
डी फार्म के 3355 अभ्यर्थियों को दी गई उपाधि
नर्सिंग संकाय में 2023 से पूर्व और 2023 में MSC,
BSC की योग्यता हासिल करने वाले 6387 अभ्यर्थियों को दी गई उपाधि
फिजियोथेरेपी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी के 2023 से पूर्व और
2023 में BPT की योग्यता हासिल करने वाले 258 अभ्यर्थियों को दी गई उपाधि
पैरामेडिकल संकाय के 2023 से पूर्व और
2023 में विभिन्न कोर्सेज में योग्यता हासिल करने वाले 260 अभ्यर्थियों को दी गई उपाधि
राज्यपाल ने देश, विदेश के दूसरे विश्वविद्यालय से कॉलोब्रेशन करके शोध और अनुसन्धान में महती कार्य करने पर भी बल दिया. उन्होंने कहा कि इससे चिकित्सकीय ज्ञान का प्रभावी रूप में आदान प्रदान हो सकेगा. उन्होंने कहा कि ऐसा ज्ञान ही विद्यार्थी के अधिक ध्यान में रहता है. उन्होंने चिकित्सको को संयम रख रोग निदान को अपना सर्वोपरि ध्येय रखने का आह्वान किया.
राज्यपाल ने इस अवसर पर "नेशनल अकादमिक डिपोजिटरी पोर्टल" का बटन दबाकर डिजिटल शुभारंभ किया. इसमें राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा योग्य अभ्यर्थियों के शैक्षणिक रिकॉर्ड को डिजिटलाइज्ड किया जाएगा. इससे पहले उन्होंने डॉ. विश्व मोहन कटोच को बायोमेडिकल रिसर्च में अप्रतिम योगदान के लिए "डॉक्टर ऑफ साइंस- मेडिसिन" की मानद उपाधि प्रदान की. उन्होंने मेडिसिन, दंत, फार्मेसी, नर्सिंग, फिजियोथैरेपी एवं ऑक्यूपेशनल, पैरामेडिकल संकाय के विद्यार्थियों को पदक एवं उपाधियां प्रदान की. पीएसआरआई हार्ट इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष डा. के.के. तलवार ने दीक्षांत व्याख्यान प्रदान किया.