जयपुर: जिला अध्यक्षों को फिर से सियासी ताकत देने की कवायद में जुटे कांग्रेस हाईकमान ने अब उनकी नियुक्ति को लेकर नया कदम उठाया है. कांग्रेस के इतिहास में पहली बार अब जिलाध्यक्षों की सीधी नियुक्ति खुद हाईकमान करेगा. इसके तहत सबसे पहले गुजरात राज्य को राहुल गांधी ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुना है. अब स्थानीय नेताओं की सिफारिश के बजाय पर्यवेक्षक जिलाध्यक्ष चुनेंगे.
संगठन की मजबूती के मिशन में जुटे कांग्रेस आलाकमान ने अब जिला अध्यक्षों को फिर से पावरफुल बनाने की दिशा में धरातल पर ऑपरेशन शुरु कर दिया है. जिम्मेदारी के साथ जिला अध्यक्षों की जवाबदेही तय करने के लिए अब उनके चयन से जुड़ा कांग्रेस ने नया फार्मूला चुना है. अब विधायक और सांसदों सहित अन्य सीनियर लीडर की सिफारिशों पर जिला अध्यक्ष नहीं बनाए जाएंगे. अब नियुक्ति से पहले बाकायदा हर एंगल और समीकरणों के मद्देनजर रखते हुए पड़ताल की जाएगी. राहुल गांधी ने सबसे पहले गुजरात से इस चयन के फार्मूले का आगाज कर दिया है.
-कांग्रेस में जिलाध्यक्ष बनाने का अब नया फार्मूला
-अब बड़े नेताओं की नहीं चलेगी चयन में पसंद-नापसंद
-अब हाईकमान खुद करेगा जिला अध्यक्षों का चयन
-गुजरात से चयन का पायलट प्रोजेक्ट किया शुरु
-कांग्रेस के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा
-जब पर्यवेक्षक करेंगे जिला अध्यक्ष का चयन
-गुजरात में चयन के लिए किए AICC और PCC पर्यवेक्षक नियुक्त
-पर्यवेक्षक 5-5 नामों का करेंगे पैनल तैयार
-अगले 45 दिनों में पर्यवेक्षकों को रिपोर्ट सहित सौंपने होंगे नामों के पैनल
-फिर हाईकमान हर एंगल से पैनल के नामों को करेगा क्रॉस चेक
-उसके बाद जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की होगी सूची जारी
खास बात है कि खुद राहुल गांधी अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट को लीड कर रहे हैं. दरअसल राहुल गांधी का इसके पीछे मकसद है कि अब पार्टी को संगठन खास तौर से जिला अध्यक्षों के भरोसे चलाया जाए. इसलिए टिकट वितरण जैसे बड़े काम में उनका रोल तय होगा. लिहाजा वो चाहते है कि जिला अध्यक्ष ऐसा बने जो पार्टी की विचारधारा से जुड़ा हुआ हो. इसलिए उनका साफ कहना है कि जिला अध्यक्षों के चयन में कोई समझौता अब नहीं होगा.
जिला अध्यक्षों के चयन का यह फार्मूला अभी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर गुजरात में लॉन्च किया गया है. अगर वहां यह फार्मूला हिट साबित हुआ तो फिर इसे पार्टी अन्य राज्यों में लागू करेगी. कुल मिलाकर बात यह है कि अब कांग्रेस में जिला अध्यक्षों की पूछ बढने वाली है और उनके अच्छे दिन आने वाले हैं.