जयपुर: जल संरक्षण, प्रबंधन और भूजल उपयोग सहित जल बचाने के अन्य तरीकों पर मंथन के लिए आठ राज्यों के मुख्यमंत्री उदयपुर में जुटेंगे. साथ ही 30 राज्यों के मंत्री भी इस मंथन में भागीदारी निभाएंगे कि किस तरह जल का समुचित उपयोग कर सिंचाई और पेयजल के काम लिया जा सकता है. इस दौरान 'इंडिया वाटर विजन-2047' पर खुलकर चर्चा होगी. बड़ी बात यह है कि भोपाल के बाद राजस्थान ऐसा दूसरा राज्य होगा, जहां इतने बड़े स्तर पर जल मंथन होगा.
देशभर नदियों को जोड़ने की योजना पर तेजी से काम चल रहा है और राजस्थान में चल रहे जल प्रबंधन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भजनलाल सरकार की पीठ भी थपथपा चुके हैं. ऐसे में राजस्थान को देशभर के जल प्रबंधन पर मंथन का मौका मिला है. केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की ओर से आयोजित आल इंडिया स्टेट मिनिस्टर कांफ्रेंस की व्यवस्था का जिम्मा राजस्थान को सौंपा गया है. जानकारी में आया है कि पहला मौका होगा कि जब इतनी बड़ी संख्या में राज्यों के मंत्री मौजूद रहेंगे. साथ ही प्रधानमंत्री खुद भी इस कार्यक्रम में वर्चुअल जुड़ सकते हैं.
- उदयपुर में होगी आल इंडिया स्टेट मिनिस्टर कांफ्रेंस
- 'इंडिया वाटर विजन-2047' विषय पर होगी कांफ्रेंस
- उदयपुर में 18 व 19 फरवरी को होगा जल मंथन
- कांफ्रेंस में आठ राज्यों के मुख्यमंत्री करेंगे शिरकत
- उत्तराखंड, उड़िया, त्रिपुरा सहित आठ राज्यों के सीएम आएंगे
- दो दिवसीय कांफ्रेंस में केंद्रीय जल मंत्री भी रहेंगे मौजूद
- कई केंद्रीय मंत्रियों के साथ मौजूद रहेंगे विभागों से जुड़े 30 मंत्री
- जलदाय, ग्रामीण विकास और जल संसाधन से जुड़े मंत्री रहेंगे मौजूद
- राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी करेंगे शिरकत
- जल शक्ति मंत्रालय की ओर से आयोजित होगा कार्यक्रम
- 300 से अधिक डेलिगेट्स के लिए उदयपुर के होटल बुक
- कार्यक्रम में कई राज्यों के CS और ACS भी रहेंगे मौजूद
- राजस्थान WRD को सौंपी गई व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी
- राजस्थान से WRD के 100 से अधिक इंजीनियरों को किया तैनात
राजस्थान में पहली बार बड़े स्तर पर हो रही कांफ्रेंस की व्यवस्था के लिए जल संसाधन विभाग ने आठ टीमों का गठन कर अधिकारी नियुक्त कर दिए हैं, जो डेलिगेट्स के प्रोटोकॉल में रहेंगे. दो दिन तक उदयपुर के सभी बड़े होटलों में बुकिंग हो चुकी है ताकि एन वक्त पर कोई परेशानी नहीं आए. देखने वाली बात तो यह रहेगी कि मंथन के बाद क्या देशभर के लिए जल संरक्षण को लेकर एक नीति बनाई जा सकती है ताकि सभी राज्यों को फायदा हो सके.