चित्तौड़गढ़ {पीके अग्रवाल}: चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा तहसील के बहेलिया गांव में स्थित देवनारायण धाम न केवल श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है, बल्कि समाजसेवा और अध्यात्म का भी प्रतीक बन चुका है. हर साल माघ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को यहां भव्य यज्ञ और महाप्रसादी का आयोजन किया जाता है. इस वर्ष मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपने रावतभाटा दौरे के दौरान हेलीकॉप्टर से इस ऐतिहासिक धाम का अवलोकन किया.
रावतभाटा के बहेलिया गांव में स्थित देवनारायण धाम, जिसे मेंहदी का छापड़ भी कहा जाता है, पिछले 14 वर्षों से श्रद्धालुओं की गहरी आस्था का केंद्र बना हुआ है. हर वर्ष यहां भव्य यज्ञ का आयोजन किया जाता है, जिसमें उज्जैन से आए आचार्य प्रद्युम्न भार्गव और 20 अन्य आचार्य वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अनुष्ठान संपन्न कराते हैं. इस दौरान सैकड़ों भक्त विशेष पूजा-अर्चना में शामिल होते हैं और अपनी मनोकामनाएं भगवान देवनारायण से पूर्ण होने की प्रार्थना करते हैं. राम टेकरी हनुमान मंदिर महंत आत्मानंद महाराज कहते है कि देवनारायण धाम में होने वाला यज्ञ और धार्मिक अनुष्ठान भक्तों की आस्था को और मजबूत करता है. वैदिक मंत्रों के साथ किया गया हवन इस स्थान की दिव्यता को और बढ़ाता है.
हर वर्ष गरीब और जरूरतमंद जोड़ों के विवाह कराए जाते:
इस पावन अवसर पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अपने रावतभाटा दौरे पर थे, जहां उन्होंने सांसद सीपी जोशी और विधायक श्रीचंद्र कृपलानी के साथ हेलीकॉप्टर से इस पवित्र स्थल का अवलोकन किया. साथ ही, मालासेरी देव धाम के मुख्य पुजारी हेमराज पोसवाल विशेष अनुष्ठान में सम्मिलित हुए, देवनारायण धाम न केवल आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र है, बल्कि समाज सेवा के लिए भी प्रसिद्ध है. यहां हर वर्ष गरीब और जरूरतमंद जोड़ों के विवाह कराए जाते हैं और कई सामाजिक कार्य किए जाते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि इस धाम में आकर उन्हें एक अनोखी आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव होता है. इस मंदिर को लेकर श्रद्धालु कहते है हम हर साल इस मेले में आते हैं. यहां की दिव्यता और आध्यात्मिक शांति अद्भुत है. भगवान देवनारायण हमारी सभी इच्छाएं पूरी करते हैं, यह मंदिर सिर्फ आस्था का नहीं, बल्कि समाजसेवा और धार्मिक चेतना का भी बड़ा केंद्र है. यहां हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं. देवनारायण धाम के अनुष्ठान और आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक जागरूकता का भी संदेश देते हैं.
देवनारायण की प्रतिमा स्वयं भू रूप में प्रकट हुई:
देवनारायण धाम की स्थापना 5 फरवरी 2012 को हुई थी, लेकिन इसकी महिमा और आस्था सदियों पुरानी है. मान्यता है कि लगभग 400 साल पहले चंबल नदी के क्षेत्र में भगवान देवनारायण की प्रतिमा स्वयं भू रूप में प्रकट हुई थी. तभी से यह स्थल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है, प्रतिवर्ष माघ शुक्ल पक्ष की 12वीं और 13वीं तिथि को मंदिर के स्थापना दिवस पर विशाल मेला और भंडारे का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों भक्त शामिल होते हैं. मंदिर की दिव्यता और यहां होने वाले धार्मिक आयोजनों ने इसे क्षेत्र का सबसे प्रमुख आध्यात्मिक स्थल बना दिया है.