जयपुर : SMS सुपर स्पेशिलिटी ब्लॉक की प्लानिंग की चूक अब मरीज और उनके परिजनों को इलाज से पहले इधर से उधर भटकने को मजबूर कर रही है. जी हां हम बात कर रहे है ट्रोमा सेन्टर के ठीक पास में 200 करोड़ की लागत से बनाए गए SSB अस्पताल की, जहां सबसे जरूरी पार्किंग दिनोंदिन बड़ा "मर्ज" बनकर उभर रही है. आखिर क्या है पार्किंग का पेंच और मरीजों को कैसे हो रही दिक्कत, साथ ही समस्या का कैसे हो सकता है स्थाई समाधान.
सुपर स्पेशिलिटी विंग की बिल्डिंग अपनी खुबसूरती के चलते भले ही हर किसी को आकर्षित करती हो, लेकिन जब कोई यहां इलाज के लिए आता है तो उसे वाहन खड़ी करने की जगह तक उपलब्ध नहीं हो पा रही है. इसके पीछे का कारण है केन्द्र और राज्य सरकार ने सुपर स्पेशिलिटी सेवाओं के विस्तार की मंशा से करीब 200 करोड़ रुपए खर्च तो किए है. लेकिन एसएमएस मेडिकल कॉलेज के कर्ताधर्ता की प्लानिंग की चूक के चलते जरूरत के हिसाब से पार्किंग ही विकसित नहीं की गई है. पूरे अस्पताल की बात की जाए तो महज 100 से सवा सौ वाहनों की पार्किंग की ही व्यवस्था है, जबकि इतनी गाड़ियां तो यहां कार्यरत चिकित्सक और स्टॉफ की ही आ जाती है. ऐसे हालात ये है कि इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बावजूद अस्पताल में भर्ती हर मरीज और उसने परिजनों को वाहन पार्क करने के लिए इधर भटकना पड़ता है. जब फर्स्ट इंडिया की टीम ने मौके का जायजा लिया तो पाया कि जिस वॉक वे को मरीज के लिए बनाया गया, उसे पार्किंग में तब्दील किया जा चुका है. इसके बाद भी रोजाना काफी संख्या में मरीज वाहन पार्क करने के लिए भटकते हुए देखे जा सकते है.
- ओपीडी शुरू होने के दो घंटे के भीतर अस्पताल हाउसफुल
- SMS सुपर स्पेशिलिटी विंग में प्लानिंग की फेलियर का "साइड-इफेक्ट"
- अस्पताल में पार्किंग की दिक्कत दिनों-दिन बढ़ा रही आमजन का मर्ज
- अस्पताल के बेसमेंट में महज 50-60 गाड़ियों की पार्किंग की ही व्यवस्था
- चारों ओर बने वॉक वे को भी जोड़े तो 100-125 वाहनों की ही हो सकती पार्किंग
- जबकि अस्पताल में 100 से 150 का स्टॉफ, इसमें से अधिकांश लाते खुद का वाहन
- ऐसे में हालात ये कि ओपीडी शुरू होने के दो घंटे में ही पूरा अस्पताल वाहनों से खचाखच
- मजबूरन, अस्पताल में पहुंच रहे वाहनों को मरीज उतारने के बाद निकलना पड़ता बाहर
- समस्या ये ही नहीं, मुख्य मार्ग पर भी जगह का अभाव, ऐसे में पार्किंग के लिए भटकते लोग
ऐसा नहीं है कि अस्पताल में लगातार बढ़ रही पार्किंग की समस्या का समाधान नहीं है. प्रशासन की माने तो इस भवन के ठीक पीछे अस्पताल रोड पर स्थित सरकारी क्वाटरों को एसएमएस को हेडओवर किया जाए तो काफी हद तक समस्या का समाधान हो सकता है. अस्पताल अधीक्षक डॉ विनय मल्होत्रा भी मानते है कि पार्किंग की दिक्कत दिनों-दिन बढती जा रही है. उन्होंने भी बताया कि भवन के पीछे के क्वाटरों को लेकर पार्किंग विकसित करना ही एकमात्र विकल्प बचा है. इस बारे में हाईलेवल पर प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है, जहां से मंजूरी मिलने पर ही आगे बढ़ सकते है.