VIDEO: हिंदुत्व वर्सेस जाति की सियासत! गुजरात अधिवेशन के जरिए कांग्रेस ने दिया साफ संदेश, दलित, एसटी और ओबीसी को कांग्रेस करेगी लामबंद, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: गुजरात में हुए कांग्रेस के अधिवेशन में पारित  प्रस्तावों से साफ है बीजेपी के हिंदुत्व के सियासी एजेंडे का काउंटर पार्टी जाति की राजनीति से ही करेगी. अधिवेशन में कांग्रेस ने एससी,एसटी औऱ ओबीसी वर्ग से जुड़े तीन अहम प्रस्ताव पारित किए हैं. जिसके तहत आरक्षण की 50 फीसदी सीमा को खत्म किया जाएगा औऱ तीनों वर्गों को निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण दिया जाएगा. 

लगातार चुनावी हार के बाद अब कांग्रेस ने भाजपा से मुकाबले के लिए नया सियासी एक्शन प्लान बनाया है. कांग्रेस रणनीतिकारों ने बीजेपी की हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति के काउंटर में जाति की सियासत का कार्ड खेलने का फैसला किया है. गुजरात के अहमदाबाद में हुए अधिवेशन में तीन प्रस्ताव पारित करके हाईकमान ने अपने इस प्लान पर मुहर भी लगा दी है. हिंदुत्व के मुकाबले में अब कांग्रेस दलित,एसटी और ओबीसी वर्ग को कांग्रेस के पक्ष में लामबंद करेगी. आईए पहले आपको बताते है कि गुजरात अधिवेशन में क्या 3 अहम प्रस्ताव कांग्रेस ने पारित किए.

- कांग्रेस अधिवेशन में पारित हुए 3 अहम प्रस्ताव
- तीनों ही प्रस्ताव पारित किए एससी,एसटी और ओबीसी से जुड़े
- पहले प्रस्ताव के तहत आरक्षण की 50 फीसदी सीमा को खत्म किया जाएगा
- कांग्रेस ने कानून लाकर आरक्षण की सीमा को समाप्त करने का वादा किया
- दूसरे प्रस्ताव के तहत एससी और एसटी सब प्लान को कानूनी आकार देंगे
- साथ ही आबादी के मुताबिक बजट में उनकी हिस्सेदारी तय की जाएगी
- तीसरे प्रस्ताव के अनुसार SC,ST और OBC को निजी शिक्षण संस्थानों में आऱक्षण देंगे

इन प्रस्तावों के जरिए कांग्रेस ने साफ संदेश दे दिया कि अब उनकी राजनीति इन्हीं बिरादरी के इर्द-गिर्द रहेगी. दरअसल कांग्रेस रणनीतिकारों को मानना है कि लोकसभा में बीजेपी को बहुमत हासिल नहीं करने देने और कांग्रेस की 99 सीटें आने के पीछे आरक्षित वर्ग का ही एक बड़ा रोल था. लिहाजा उन्होंने आगे भी मजबूती से जाति की राजनीति का दांव चलाने का निर्णय किया है. अधिवेशन में राहुल गांधी ने मंच से अपना भाषण भी दलित, आदिवासी और ओबीसी पर पूरी तरह से फोकस रखा. इसलिए राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना और जूली के मंदिर जाने के बाद गंगाजल से साफ करने के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया.

 

कांग्रेस औऱ राहुल गांधी की हिंदुत्व वर्सेस जाति की सियासत 90 के दशक की मंडल-कमंडल की राजनीति को याद दिला रही है. जिसके चलते देश की राजनीति में एक बड़ा अलग बदलाव देखने को मिला था. अब देखना है कि पिछले 10 साल से केंद्र की हुकूमत में काबिज बीजेपी  के हिंदुत्व के हथियार का जाति की राजनीति के जरिए कांग्रेस कैसे मुकाबला कर पाएगी.